Tuesday, 10 September 2013

kaanun ka darpan

 * कानून  का दर्पण  *
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हमारे देश का कानून साफ तौर पर तीन  भागो  में काम करता है।
आंकड़े कुछ  इस तरह है ------
न- १ - बेगुनाहों  को  ३०% सजा  देने पर काम करता है।
न -२ -३०% सही मायने  में लोगों को इन्साफ दिलाने पर काम करता है।
न -३ - ४०% गुनाह गारों  को बचाने  पर कार्य  ध्यान पूर्वक लगन से किया जाता है।

हमारे देश के ६० से ७०% माननीय वकील और  न्यायधीश  महोदय  अपनी ताकत
का प्रयोग गुनाहगारों को बचाने में करते है जिससे उनकी रोजी -रोटी इसी के दम पर चलती है।
जिसका साफ़ सुथरा कारण  है दर्ज किये  हुए केश की तारीक  पे तारिक का लगना।
यही सिलसिला  वर्षों तक निरंतर  चलता  रहता है।
जिसके कारण बेगुनाह  तारिकों के चक्रव्यूह  में फंस कर रह जाते है कुछ तो दुनिया से
उम्मीद करते करते चले जाते है।
लेकिन उनके केश हल नहीं होते। और उनके केश की फाइल  कानून की रस्सी में बंधकर रह जाती है।
और गुनाह करने वाले तारिकों के खेल में खेलते रहते है।
इस तरह वे एक के बाद एक गुनाह पर गुनाह करते रहते है।
इस तरह हमारे देश के कानून के रखवालो की जिन्दगी और रोटी -रोजी।
झूंठ को सच ओर  सही को गलत साबित करने की कोशिशों के दम पर चलती रहती है।

हमारे देश के सभी न्यायालयों  में साफ़ साफ़ दिखाया  गया है ---
कानून की आँखों पर पट्टी बंधी होती है  एक तस्वीर  लगी होती है।
जो ये कहती है की कानून अंधा  है।  जो उसे दिखाया जाएगा व्ही सच होगा।
ये तो साफ़ साफ़ पैसों का खेल है दोस्तों  न्याय ओर अन्याय  केसा होगा।
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 * बिनेश कुमार  * ९/९/१३ *

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