* गीत *
ओ साथी मेरे दूर जाते समय तुम अलविदा कभी न कहना।
हमारी यादों को तुम अपने ख़्वाबों में सजा लेना।
जब कभी तुम्हें याद आये उन्हें रातों में देख लेना।
जो यादें हमने सजाई थी एक साथ रहकर।
तुम उन्हें अपने शब्दों में सजा कर लिख लेना।
ओ साथी मेरे दूर जाते समय तुम अलविदा कभी न कहना।
तुमने जो वादे किये थे हमसे उन्हें कभी भूल न जाना।
हमें दूर रहकर भी वो फ़र्ज़ दोस्ती का है निभाना।
जब वक्त बदलेगा खुशियाँ तुम्हारी झोली में आयेंगी।
उन खुशियों की रौशनी में तुम एक अँधेरे को न भूल जाना।
ओ साथी मेरे दूर जाते समय तुम अलविदा कभी न कहना।
हमारी यादों को तुम अपने ख़्वाबों में सजा लेना।
मुशीबत में देख दोस्त को तुम मुंह अपना न मोड़ लेना।
दोस्ती का वसूल यही है मुशीबत में दोस्त का साथ देना।
सच्ची दोस्ती का फ़र्ज़ यही है बिन मांगे मदद दोस्त की करना।
ओ साथी मेरे दूर जाते समय तुम अलविदा कभी न कहना।
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* बिनेश कुमार * ७/९/१३। *
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