* ए दिल प्यार तूने ऐसा क्यूँ किया *
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ए दिल प्यार तूने एस क्यूँ किया।
जब तुझे किसी ने समझा ही नहीं।
जिनका दर्द तूने बांटना चाहां था।
उन्होंने तो तेरा दर्द कभी समझा ही नहीं।
जो रिश्ता इंसानियत तूने निभाना चाहा था।
उसे किसी ने कभी पहचाना ही नहीं।
तूने अपने -पराये के बिच की दूरी को कम करना चाहा।
उनहोंने कभी इसका अहसास किया ही नहीं।
हर दिल एक जैसा नहीं होता।
जैसे दिन ओर रात कभी एक होते नहीं।
क्यूंकि हर दिल अलग -अलग इंसानों के इशारे से चलता है।
तू भी तो बेबस लाचार है जो ऐसे चलता है।
गाडी मजबूर होकर चलती है जैसे।
सबको चलाने वाला तो इंसान ही होता है।
दिल ओर गाडी का तो काम सिर्फ चलना होता है।
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* बिनेश कुमार * ३०/९/२०१३ *
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