* इंसान और जानवर में फर्क *
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हमने खुद अपनी नजरों से देखा है।
दिल से किया हुआ विश्वास ओर नफरत को टूटते हुए।
रिश्तों को पल -पल में गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए।
रिश्तों के साथ खिलवाड़ करना तो कोई इंसान से सीखे।
रिश्तों का फ़र्ज़ निभाना तो कोई जानवर से सीखे।
अपनी जिन्दगी तो हर एक इंसान जीता है।
अपने वसूलों के लिए कोई -कोई जीता है।
जो अपने वसूल ओर आत्मविश्वास की कीमत ना समझ सकते।
वो जिन्दगी में किसी ओर की कीमत क्या समझेगें।
रिश्तों का दिखावा करना तो कोई इंसान से सीखे।
प्यार करना ,ओर निभाना तो कोई जानवर से सीखे।
जो दूसरों की खातिर अपनी जान कुर्बान कर देते हैं।
वे इंसानों की तरह बेवफा - मतलबी नहीं होते।
जो इंसान खुद ना संभल सके वो दूसरों को क्या सहारा देंगे।
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* बिनेश कुमार * २९/९/२०१३ * प्रात : ४ बजे *