Tuesday, 29 October 2013

RUTAVA


  * ॐ    * रुतवा देखो लाईन का *
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आज कल हर तरफ लाईन का ही रुतवा है।

जन्म हो इंसान का तो भी वहाँ लाईन  लगी होती है।

बिमारी में इलाज के लिए लाईन लगी होती है।

स्कूल  में दाखिले के लिए भी लाईन लगी होती है।

नौकरी की  हो चाहत वहाँ पे भी लाईन लगी होती  है।

रासन हो लेना तो वहाँ पे भी लगी होती है।

भगवान् के दरवार में दर्शन के लिए भी लाईन लगी होती है।

खाने के लिए लगा हो भंडारा वहाँ पे लाईन  लगी होती है।

यात्रा करनी हो तो वहाँ भी लाईन लगी होती है।

शादी का हो बंधन तो वहाँ पे भी पसंद करने कि लाईन लगी होती है।

शराब कि दूकान पर भी लम्बी लाईन लगी होती है।

जन्म से लेकर अंत तक दौड़ते -दौड़ते जिंदगी  ख़त्म हो जाती है।

इंसान का सहारा ही ये लाईन बन गई है

लेकिन ये लाईन कभी ख़त्म नहीं होती है।
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* बिनेश कुमार * २९ /१०/२०१३ * प्रात : ४ बज
  



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