* ॐ *
* प्यार ओर नफरत का अहसास *
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तिन -तिन जोड़कर विश्वास को घर बनाया सपनो का।
एक गलत फैमी नफरत का झोका पल में तोड़ गया घर सपनो का।
एक -एक बूंद प्यार की एकत्र कर सागर बनाया सपनो का।
एक लहर नफरत की आई पल में तोड़ दिया सागर सपनो का।
कोई जिन्दगी में कभी हारा नहीं कठिनाइयों से।
वो एक पल में हार गया जब दर्द मिला अपनों से।
हर एक की तमन्ना होती है अपनों के साथ ख़ुशी से जीने की।
अपनों से दर्द के पत्थर चोट करने लगें तो इच्छा होती है मरने की।
प्यार ऐसी दबाई है मुर्दे में भी जान डाल देता है।
नफरत ऐसा जहर है जिन्दा इंसान को जीते जी मार देता है।
जब अजनबी से मिलना चाहे तो दिल से प्यार का अहसास होता है।
जब अपनों से बचकर निकले तो दिल से नफरत का अहसास होता है।
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* बिनेश कुमार * ६/१०/२०१३ * सुबह ११ बजे *
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