Thursday, 22 August 2013

dosti pe kurbaan

*  दोस्ती  पे कुर्बान   *
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ए  मेरे दोस्त तुझे कसम है  दोस्ती की ,
तू  गुम -सुम  है  क्यूँ चुप्पी  तूने साध रखी  है !
कोई दर्द -परेशानी  है तुझे  तो मुझे बता ,
तू मुझसे दूर जा रहा है क्यूँ कोई कारण  तो बता !
मैं  दोस्त हूँ कोई दुश्मन नहीं हूँ तेरा ,
तेरी ख़ुशी  छिनकर भला मुझे मिलेगा क्या !
मुझसे दूर जाना  ही है तो हंसी -ख़ुशी से तू जा ,
गुम -सुम  उदास होकर तू दूर मुझसे  ना जा !
ऐसा  दर्द मुझे देकर भला तुझे मिलेगा क्या !
अगर तेरी ख़ुशी इसी  में है तो बेसक तू चला  जा  !
हम तेरी ख़ुशी के लिए हर दर्द  सह लेंगे !
तुम पास  या दूर रहो हमसे ,
तुम्हारी ख़ुशी के लिए हम रब से दुआ  हर वक्त करेंगे !
एक विनती हम करते है तुम से जहाँ भी रहो खुश  रहना !
तुम्हारी  ख़ुशी को देखकर ही दोस्त हम भी कुछ ख़ुशी से जी लेंगे !
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*  बिनेश कुमार  * १२/८/२०१३ *  धन्यवाद  * 

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