* दोस्ती पे कुर्बान *
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ए मेरे दोस्त तुझे कसम है दोस्ती की ,
तू गुम -सुम है क्यूँ चुप्पी तूने साध रखी है !
कोई दर्द -परेशानी है तुझे तो मुझे बता ,
तू मुझसे दूर जा रहा है क्यूँ कोई कारण तो बता !
मैं दोस्त हूँ कोई दुश्मन नहीं हूँ तेरा ,
तेरी ख़ुशी छिनकर भला मुझे मिलेगा क्या !
मुझसे दूर जाना ही है तो हंसी -ख़ुशी से तू जा ,
गुम -सुम उदास होकर तू दूर मुझसे ना जा !
ऐसा दर्द मुझे देकर भला तुझे मिलेगा क्या !
अगर तेरी ख़ुशी इसी में है तो बेसक तू चला जा !
हम तेरी ख़ुशी के लिए हर दर्द सह लेंगे !
तुम पास या दूर रहो हमसे ,
तुम्हारी ख़ुशी के लिए हम रब से दुआ हर वक्त करेंगे !
एक विनती हम करते है तुम से जहाँ भी रहो खुश रहना !
तुम्हारी ख़ुशी को देखकर ही दोस्त हम भी कुछ ख़ुशी से जी लेंगे !
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* बिनेश कुमार * १२/८/२०१३ * धन्यवाद *
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