Monday, 26 August 2013

danst

*  दांस्ता  ए  दोस्ती *

ए दोस्त अगर तुझे लिखनी है दांस्ता हमारी दोस्ती  की।

तो कुछ ऐसे शब्दों में तुम लिखना दांस्ता  हमारी दोस्ती की।

ये दुनिया  वाले दिन के  उजाले में भी खुली आँखों से न पढ़ पायें।

मैं ओर मेरा दिल रात के अँधेरे में भी बंद आँखों से पढ़ सकें।

वो दांस्ता जो तुमने लिखी है हमारी  दोस्ती  की।

ये दांस्ता एक सच्चा ओर अच्छा दोस्त ही लिख सकता है।

जो दिल से सच्ची दोस्ती निभा सकते हों दोस्त।

-----------  बिनेश कुमार -- २६/८/२०१३।   *

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