* अब दिल बनने लगे दरिन्दे *
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एक वक्त भी था दोस्तों जब दिल से प्यार की मिशाल लिखी जाती थी !
आज भी उनकी बनी मिशालों को हम सब याद करते है किताबों में पढ़ते है !
आज लोग कहते है दिल्ली दिल वालों की है !
ये सब सुनने और कहने में कितना अच्छा लगता है !
लेकिन जब हम आज की असलियत सुनते और अपनी आँखों से देखते है !
तो हमारे दिल दहल जाते है ओर वो सब कान सुन नहीं सकते आँखें देख नहीं सकतीं !
जो आज सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है !
दिल्ली में ही दिल की धडकन रुक ने लगी है , और खुशियाँ समय से पहले ही दम तोड़ने लगी हैं !
जो भी आज सच को साथ लेकर चलता है और अन्याय के खिलाफ लड़ता है !
हमारा कानून उसीका रास्ता अपनी पाबंदियां लगाकर रोक दे ता है !
आज लोगों के दिलों में न तो बड़ों के लिए सम्मान है और न छोटों के लिए प्यार है !
आज लोगों के दिलों में बस अंहकार ही अंहकार जन्म ले रहा है !
किसी को दौलत का गरूर है ,तो किसी को सौहरत और ज्यादा शिक्षा का गरूर है !
अब सोचना ये है कि “ मैं “ नाम का कीड़ा लोगों के दिलों से कैसे निकलेगा !
अब कैसे लोगों की सोच बदलेगी और ये युग कैसे बदलेगा !
बस इसी की आस -उम्मीद में जी रहे हैं हम कि लोगों की सोच आज नहीं तो कल बदलेगी !
और हम युग बदलता हुआ देख पायेंगे !
फिर से दिल को प्यार की मिशाल बनाते और लिखते हम देख पायेंगे !
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* बिनेश कुमार * २९/०७/२०१३ *
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