Thursday, 8 August 2013

dil

    * अब  दिल बनने लगे  दरिन्दे  *
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एक  वक्त भी  था दोस्तों  जब दिल  से प्यार  की  मिशाल  लिखी  जाती  थी !
आज भी उनकी  बनी मिशालों को हम सब याद करते है किताबों में पढ़ते है !
आज लोग कहते है दिल्ली दिल वालों की  है !
ये सब सुनने और कहने में कितना अच्छा  लगता है !
लेकिन जब हम आज की असलियत सुनते और अपनी आँखों से देखते है !
तो हमारे दिल दहल जाते है ओर वो सब कान सुन नहीं सकते आँखें देख नहीं सकतीं !
जो आज सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है !
दिल्ली  में ही दिल की धडकन रुक ने  लगी है , और खुशियाँ  समय से पहले ही दम तोड़ने लगी हैं !
जो भी आज सच को साथ लेकर चलता है और अन्याय के खिलाफ लड़ता है !
हमारा कानून उसीका  रास्ता अपनी पाबंदियां  लगाकर  रोक दे ता  है !
आज लोगों के दिलों में न तो बड़ों के लिए सम्मान  है और न छोटों के लिए प्यार  है !
आज लोगों के दिलों में बस अंहकार ही अंहकार  जन्म ले रहा है !
किसी को दौलत का गरूर है ,तो किसी को सौहरत  और ज्यादा शिक्षा का गरूर है !
अब सोचना ये है कि  “ मैं  “ नाम का कीड़ा लोगों के दिलों से कैसे निकलेगा !
अब कैसे लोगों की सोच बदलेगी  और ये युग कैसे बदलेगा !
बस इसी की आस -उम्मीद में जी रहे हैं हम कि लोगों की सोच आज नहीं तो कल बदलेगी !
और हम युग बदलता हुआ  देख पायेंगे !
फिर से दिल को प्यार की मिशाल बनाते और लिखते  हम देख पायेंगे !
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     *   बिनेश कुमार  * २९/०७/२०१३ *

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