* ए मेरे वतन के लोगों *
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ये वतन है हमारा सुंदर और प्यारा साथियों , ये कोई किराये का घर नहीं है !
जो इसे छोड़कर कहीं ओर रहने लगेंगे हम साथियों !
आपस की नफरत को छोड़कर , प्यार -एकता से सींचकर देश को अपने बचालो दोस्तों !
दुश्मन की हरकतों को अब नजर अंदाज करना भी छोड़ दो !
ईट का जवाब पत्थर से देना अब आदत अपनी बनालो
जो शांति ओर अमन की भाषा को ना समझते हों , उन्हें लाठी -डंडों की भाषा से समझा दो साथियों !
अब शांति ओर अमन ,भाई -चारे का प्रवचन गाना गाना छोड़ दो !
अब वक्त आ गया है अपने आत्मविश्वास ओर वतन की शान को बचाने का दोस्तों !
राज नेताओं तुम कुछ ना कर सको तो अपने हाथ ऊपर खड़े कर के कह दो !
अब ये वतन तुम्हारे हवाले है साथियों !
जैसे भी अपने वतन की शान को बचा सको ,बचा लो साथियों !
पहले भी वतन की खातिर देश के वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी ओर लहू अपना बहाया है !
आज भी हम सब तैयार है वतन की खातिर लहू अपना बहाने को !
बस राज नेताओ तुम सब मेरी गद्दी -मेरी गद्दी के गीत गाना छोड़ दो !
अपने वतन की आन वान -शान को बचाने की खातिर ,
सब एक साथ होकर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देकर ,
अपने वतन को बचा लो साथियों !!
------------------- जय हिन्द , जय भारत ---------------
-----------* बिनेश कुमार * ८/८/१३ * धन्यवाद *
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