Wednesday, 28 August 2013

N Jaane Kyun

* न  जाने क्यूँ  *
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न जाने क्यूँ खुशियों के सागर झील बनने  लगे हैं।
क्यूँ दर्दों की छोटी छोटी झील सागर बनने  लगी हैं।
जिधर हम देखते हैं आँखों में आंसू दिल में दर्द ही दिखते  हैं क्यूँ।
दुनिया में कदम -कदम पे दर्द देने वाले खड़े मिलते हैं क्यूँ।
हम मन में ख़ुशी की उम्मीद लेकर  हर एक कदम पे आगे बढ़ते हैं।
कुछ कदम साथ चलकर ख़ुशी देने वाले ही दर्द बन जाते हैं क्यूँ।
जिन्दगी जीने के लिए हर किसी को मिलती है।
जिन्दगी से हारकर  फिर हर कोई मौत को पसंद करता है क्यूँ।
शब्दों में भी वजूद में भी वो  भारी है क्यूँ।
ख़ुशी ओर परेशानी में से परेशानी ही भारी है क्यूँ।
खुशियों के सागर चारों तरफ सूखने लगे है क्यूँ।
दर्दों की नदियाँ ओर सागर चारों ओर  बहने  लगी है क्यूँ।  
ये संसार एक घर है हम सब परिवार के सदस्य हैं जिसके।
फिर हम एक दुसरे से प्यार मोहब्बत की बजाय नफरत करते हैं क्यूँ।
हम मन में बदले की भावना लेकर जिन्दगी भर जीते हैं क्यूँ।
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* बिनेश कुमार  * २८/८/१३  *

Monday, 26 August 2013

danst

*  दांस्ता  ए  दोस्ती *

ए दोस्त अगर तुझे लिखनी है दांस्ता हमारी दोस्ती  की।

तो कुछ ऐसे शब्दों में तुम लिखना दांस्ता  हमारी दोस्ती की।

ये दुनिया  वाले दिन के  उजाले में भी खुली आँखों से न पढ़ पायें।

मैं ओर मेरा दिल रात के अँधेरे में भी बंद आँखों से पढ़ सकें।

वो दांस्ता जो तुमने लिखी है हमारी  दोस्ती  की।

ये दांस्ता एक सच्चा ओर अच्छा दोस्त ही लिख सकता है।

जो दिल से सच्ची दोस्ती निभा सकते हों दोस्त।

-----------  बिनेश कुमार -- २६/८/२०१३।   *

Thursday, 22 August 2013

Geet e vatan ter liye



वतन तेरे लिए *
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ए मेरे वतन,ए मेरे वतन , ए मेरे वतन ! 

हमें जीना -मरना है ए वतन तेरे लिए ,
 

हमारी हर सांस , हर दिल की धड़कन  है ए वतन तेरे लिए !
 

देश की सरहदों पर वीरों ने सिर अपने कटवा दिए ,लहू बहा दिया !
 

ए वतन तेरे लिए , ए वतन तेरे लिए। ……… 
 

जिस माँ ने हमें जन्म दिया अपने आँचल के नीचे !
 

उस माँ के आँचल का कफ़न नसीब ना हुआ !
 

ए वतन तेरे खातिर, ए वतन तेरे खातिर !........
 

जब लोग अपने परिवार के साथ त्यौहार मना रहे थे !
 

देश के वीर जवान उस दिन अपना लहू बहा रहे थे !
 

ए वतन तेरे लिए , ए वतन तेरे लिए। …। 
 

उन्हें कफ़न नसीब हुआ धरती माँ के आँचल का खुले आसमान के नीचे !
 

आखिरी दीदार भी नसीब न हुआ माता -पिता ,बहन -भाई ,पत्नी -बच्चों का !
 

ए वतन तेरे खातिर , ए वतन तेरे खातिर। ………. 
 

हम जियेंगे और मरेंगे ,ए वतन तेरे लिए। …… 
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* बिनेश कुमार * १०/८/२०१३ * धन्यवाद * vvv

dosti pe kurbaan

*  दोस्ती  पे कुर्बान   *
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ए  मेरे दोस्त तुझे कसम है  दोस्ती की ,
तू  गुम -सुम  है  क्यूँ चुप्पी  तूने साध रखी  है !
कोई दर्द -परेशानी  है तुझे  तो मुझे बता ,
तू मुझसे दूर जा रहा है क्यूँ कोई कारण  तो बता !
मैं  दोस्त हूँ कोई दुश्मन नहीं हूँ तेरा ,
तेरी ख़ुशी  छिनकर भला मुझे मिलेगा क्या !
मुझसे दूर जाना  ही है तो हंसी -ख़ुशी से तू जा ,
गुम -सुम  उदास होकर तू दूर मुझसे  ना जा !
ऐसा  दर्द मुझे देकर भला तुझे मिलेगा क्या !
अगर तेरी ख़ुशी इसी  में है तो बेसक तू चला  जा  !
हम तेरी ख़ुशी के लिए हर दर्द  सह लेंगे !
तुम पास  या दूर रहो हमसे ,
तुम्हारी ख़ुशी के लिए हम रब से दुआ  हर वक्त करेंगे !
एक विनती हम करते है तुम से जहाँ भी रहो खुश  रहना !
तुम्हारी  ख़ुशी को देखकर ही दोस्त हम भी कुछ ख़ुशी से जी लेंगे !
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*  बिनेश कुमार  * १२/८/२०१३ *  धन्यवाद  * 

shaayri Andaj

*  शायरी अंदाज  *
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दोस्तों ;- जिन्दगी का ये सफ़र यूँ किसी से अकेले तय होता नहीं।
इसे खुशहाल ओर आसान तय करने के लिए -किसी का साथ तो चाहिए।
एक अच्छा दोस्त और एक अच्छा हमसफ़र का साथ होना जरुरी है।
दोस्त हमसे बेसक दूर रहे ओर हमसफ़र हमारे पास रहे।
जिन्दगी के सफ़र में दोनों का बड़ा योगदान होता है यारो।
जैसे अलग -अलग दर्द की अलग -अलग दबाई होती है।
ये दोनों भी उसी तरह अपना -अपना फ़र्ज़ निभाते है यारो।
जिन्दगी में कभी -कभी ऐसा अचम्भा भी देखने को मिलता है।
कभी जहर भी दबा बनकर किसी की जान बचा देता है।
और खास दोस्त दुश्मन बनकर किसी की जान ले लेता है।
कोई चोट देकर ,दगा करके किसी की जान ले लेता है।
तो कोई दोस्त से बिना वजह बताये दूर होकर जान ले लेता है यारो।
हम तो अफ़सोस में पड़  गए है अब यारो ------
ना दिन के उजाले में दिखते है ,ना रात की चांदनी में दिखते है।
उन्हें हम देखें भी तो केसे किस रौशनी में जो हमारे करीब रहते है।
जिन्हें हम अपने करीब समझते है वे तो बहुत दूर है हमसे।
जिन्हें हम दूर समझते है  वे वक्त पे हमारे पास दिखते है साया बनकर।
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* बिनेश कुमार * २०/८/१३ *

Thursday, 8 August 2013

dil

    * अब  दिल बनने लगे  दरिन्दे  *
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एक  वक्त भी  था दोस्तों  जब दिल  से प्यार  की  मिशाल  लिखी  जाती  थी !
आज भी उनकी  बनी मिशालों को हम सब याद करते है किताबों में पढ़ते है !
आज लोग कहते है दिल्ली दिल वालों की  है !
ये सब सुनने और कहने में कितना अच्छा  लगता है !
लेकिन जब हम आज की असलियत सुनते और अपनी आँखों से देखते है !
तो हमारे दिल दहल जाते है ओर वो सब कान सुन नहीं सकते आँखें देख नहीं सकतीं !
जो आज सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है !
दिल्ली  में ही दिल की धडकन रुक ने  लगी है , और खुशियाँ  समय से पहले ही दम तोड़ने लगी हैं !
जो भी आज सच को साथ लेकर चलता है और अन्याय के खिलाफ लड़ता है !
हमारा कानून उसीका  रास्ता अपनी पाबंदियां  लगाकर  रोक दे ता  है !
आज लोगों के दिलों में न तो बड़ों के लिए सम्मान  है और न छोटों के लिए प्यार  है !
आज लोगों के दिलों में बस अंहकार ही अंहकार  जन्म ले रहा है !
किसी को दौलत का गरूर है ,तो किसी को सौहरत  और ज्यादा शिक्षा का गरूर है !
अब सोचना ये है कि  “ मैं  “ नाम का कीड़ा लोगों के दिलों से कैसे निकलेगा !
अब कैसे लोगों की सोच बदलेगी  और ये युग कैसे बदलेगा !
बस इसी की आस -उम्मीद में जी रहे हैं हम कि लोगों की सोच आज नहीं तो कल बदलेगी !
और हम युग बदलता हुआ  देख पायेंगे !
फिर से दिल को प्यार की मिशाल बनाते और लिखते  हम देख पायेंगे !
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     *   बिनेश कुमार  * २९/०७/२०१३ *

haal a dil

*   हाल ए दिल  *
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दोस्तों  जो तुम्हारा हाल  है ,वो ही मेरा भी हाल है !
जरा घर से बाहर  निकल कर तो देखो , सारी दुनियां  का ही बुरा हाल है !
कोई धन को सँभालने के लिए तो कोई धन की चाहत  में परेशान है !
कोई ज्यादा ख़ुशी  से तो कोई ज्यादा गम -दर्द  से परेशान  है  !
अपने दर्द -गम को हर कोई बड़ा समझता  है !
जब दूसरों  के दर्द -गम को देखते है , तब अपना दर्द -गम खुद ही कम लगने  लगता है !
दोस्तों  ये मैं नाम का कीड़ा है ही इतना खतरनाक और बुरा ,
लोगों के दिलों -दिमाग  से निकलने का नाम ही नहीं लेता !
दोस्तों ये कीड़ा तो हर एक इंसान की जिन्दगी से जुड़ा है !
दोस्तों इसे दिलों -दिमाग से निकल पाना इतना आसान  नहीं है !
दोस्तों इंसान की जिन्दगी गुजर जाती है
इंसान दुनियां  से भी चले जाते हैं !
बस पीछे छोड़ जाते हैं ,तो एक अपनी पहचान ,
जो उन्होंने अपने जीवन में कर्म करके बनाई होती है दोस्तों !!
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 * बिनेश कुमार  * ३/८/१३ *  धन्यवाद  *  

a mere vatan ke logo

   *  ए  मेरे वतन के लोगों  *
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ये वतन है हमारा सुंदर और प्यारा  साथियों , ये कोई किराये का घर नहीं है !
जो इसे छोड़कर  कहीं ओर रहने लगेंगे  हम साथियों !
आपस की नफरत को छोड़कर ,  प्यार -एकता से सींचकर देश को अपने बचालो  दोस्तों !
दुश्मन की हरकतों को अब नजर अंदाज करना भी छोड़  दो !
ईट  का जवाब पत्थर से देना अब आदत अपनी  बनालो  
जो शांति ओर अमन की भाषा को ना समझते  हों , उन्हें लाठी -डंडों की भाषा से समझा दो साथियों !
अब शांति ओर अमन ,भाई -चारे का प्रवचन गाना गाना छोड़ दो !
अब वक्त आ गया है अपने आत्मविश्वास ओर वतन की शान को बचाने का दोस्तों !
राज नेताओं तुम कुछ ना कर सको तो अपने हाथ ऊपर खड़े कर के कह दो !
अब ये वतन तुम्हारे हवाले है साथियों !
जैसे  भी अपने वतन की शान को बचा सको  ,बचा लो  साथियों !
पहले भी वतन की खातिर देश के वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी ओर लहू अपना बहाया  है !
आज भी हम सब तैयार है वतन की खातिर लहू अपना बहाने को !
बस राज नेताओ तुम सब मेरी गद्दी -मेरी गद्दी के गीत गाना छोड़ दो !
अपने वतन की आन वान  -शान को बचाने की खातिर ,
सब एक साथ होकर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देकर ,
अपने वतन को बचा लो साथियों !!
   -------------------    जय  हिन्द , जय भारत  ---------------
-----------* बिनेश कुमार * ८/८/१३ *  धन्यवाद  *    

geet- sai.

* गीत  *
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ओ साईं  बाबा , ओ साईं  बाबा , तुम अपने भक्तों  की पुकार  सुनलो !
जो आये है सच्ची श्रद्धा से दुवार  पे तुम्हारे , उनके मन की मुराद पूरी कर दो !
लेकर के जो आये है खाली झोली बाबा तुम झोली उनकी भर दो !
धन -दौलत ,बंगला ,गाडी , बाबा तुम किसी को न देना !
मन की सुख -शांति ,अमन चैन  हर एक को बाबा तुम देना !
आये जो भक्त आस लेकर बाबा दर पे तुम्हारे , किसी को ना उम्मीद न लोटाना !
कोई भक्त खाली हाथ आएगा , तो कोई फल -फूल की भेट लेकर के आएगा !
ओ साईं बाबा एक छोटी सी विनती मेरी सुनलो  !
तुम अपने भक्तों में कोई  भेद -भाव  कभी न करना !
बाबा जो आये दर पे तुम्हारे , तुम हर एक की पुकार  सुनना !
जो भी भक्त आये सच्ची श्रद्धा से दर पे तुम्हारे !
बाबा तुम ख़ुशी से उनकी श्रद्धा  और  भक्ति को स्वीकार  करना !!
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* बिनेश कुमार  * ८/८/ १३  *