Tuesday, 29 October 2013

RUTAVA


  * ॐ    * रुतवा देखो लाईन का *
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आज कल हर तरफ लाईन का ही रुतवा है।

जन्म हो इंसान का तो भी वहाँ लाईन  लगी होती है।

बिमारी में इलाज के लिए लाईन लगी होती है।

स्कूल  में दाखिले के लिए भी लाईन लगी होती है।

नौकरी की  हो चाहत वहाँ पे भी लाईन लगी होती  है।

रासन हो लेना तो वहाँ पे भी लगी होती है।

भगवान् के दरवार में दर्शन के लिए भी लाईन लगी होती है।

खाने के लिए लगा हो भंडारा वहाँ पे लाईन  लगी होती है।

यात्रा करनी हो तो वहाँ भी लाईन लगी होती है।

शादी का हो बंधन तो वहाँ पे भी पसंद करने कि लाईन लगी होती है।

शराब कि दूकान पर भी लम्बी लाईन लगी होती है।

जन्म से लेकर अंत तक दौड़ते -दौड़ते जिंदगी  ख़त्म हो जाती है।

इंसान का सहारा ही ये लाईन बन गई है

लेकिन ये लाईन कभी ख़त्म नहीं होती है।
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* बिनेश कुमार * २९ /१०/२०१३ * प्रात : ४ बज
  



Thursday, 24 October 2013

Riston

*ॐ *
* रिश्तों का महत्व हैं त्यौहार *
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दिवाली आई दीपों ने एक साथ जलकर उजाला किया संसार में।
दिल मिले प्यार हुआ रिश्ते जुड़े हमारे संसार में।
दीपों की रौशनी में प्यार चमका मिठाई खाई ख़ुशी हमें मिली संसार में।

रंगों से भरी होली आई हमारे अनगिनत रिश्ते साथ लेकर आई।
होली के रंग मिलकर दिलों से नफरत को धोने आई।
हमारे दिलों में प्यार को बढाने का मोका लेकर आई।

ईद आती है तन पे नए -नए वस्त्र धारण करते हैं जैसे।
एक दुसरे के गले मिलकर दिलों से नफरत को मिटाके।
दिलों में प्यार ओर रिश्तों का नया जन्म होता है ऐसे।

रक्षाबंधन ओर भैयादौज जब -जब आता है।
तब -तब भाई -बहन का प्यार ओर अटूट रिश्ता मजबूत होता है।
दोस्तों- त्यौहार हमारे मार्ग दर्शक हैं-जोकि हम अपने रिश्तों को भूल न जाए।
ये  हमें अपने अपने समय पर आकर रिश्तों का अहसास कराते हैं।
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* बिनेश कुमार * २४/१०/२०१३ *  

Friday, 18 October 2013

* शायरी अंदाज *



* शायरी  अंदाज  *
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दोस्तों -- शेर का शिकार  शेर दिल ही करते हैं जैसे।

बहती दरिया में अक्सर तैराकी ही डूबते हैं ऐसे।

डूबते को बचाने के लिए एक तिनके का सहारा ही काफी होता है।
जो रहते हैं इस उम्मीद में हमें अपने ही डूबने  से बचायेंगे  आके।

वे अक्सर उम्मीद करते करते डूब ही जाते हैं।

क्यूंकि अक्सर अपने उस वक्त आस -पास भी नहीं होते हैं।

दोस्तों --वक्त की नजाकत को समझो

जो वक्त पे मिल जाए सहारा उसे  ही स्वीकार कर लो।

अपने  अनमोल जीवन को  बचा लो।
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* बिनेश कुमार *   १९/१०/२०१३ *   

asliyat


* ॐ *

          * असलियत  ए  अंदाजे बयां  *
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दोस्तों -- खिलते व् महकते हुए फूल के पास हर भौरा आना पसंद करता है जैसे।


बिना खुशबू  के मुरझाये हुए फूल के पास कोई भी भौरा नहीं आना चाहता जैसे।


आपकी ख़ुशी ओर कामयाबी में अपने व् पराये भी शामिल होना चाहेंगे।


आपके दर्द ओर ना कामयाबी में कोई शामिल होना नहीं चाहेगा ऐसे।


बचेंगे आपसे सब सूरज की तपती धुंप  से बचते हैं लोग जैसे।


कहीं वे भी आपके दर्द व् ना कामयाबी की आग में झुल्ज  न जाए ऐसे।


दोस्तों दुनिया में अगर आन ओर  शान से जीना है.


काँटों के बीच गुलाब ,कीचड़ में कमल अपने दम ख़म से खिलता है जैसे।


खुद को भी बना लो गुलाब व् कमल के फूल जैसे।
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*   बिनेश कुमार  * १८/१०/२०१३ *   ३ बजे *


Monday, 14 October 2013



* शायरी अंदाज *
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*बहुत मुद्दत के बाद आज हमारे आँगन  में चौहदवीं का चाँद निकला है।

काफी इन्तजार के बाद मेरे दोस्त का जबाव आया है।

जिस दोस्त को मैं काफी अरसे से तलाश  रहा था।

न जाने वो किस अंधरे में गुम  हो गया था।

बीन बताये मुझसे दूर चला गया था।

आज उसके आये सन्देश से मुझे एक रौशनी की किरण नज़र आई है।

जिसे मैं समझ बैठा था वो दूर चला गया आज वो मेरे करीब नज़र आया है।


*बगिया में खिले व् महकते  फूल हर एक को पसंद आते हैं।

इस तरह आपके मन की ख़ुशी ओर चहरे की मुस्कान ,

अपने हों या पराये हर किसी को अच्छी लगती है।



* जिसकी हमें मुद्दत से तलाश थी वो तलाश हो तुम।

एक अपनों के जैसे दोस्त का फ़र्ज़ निभाओगे वो दोस्त हो तुम।

जब  वक्त बदलेगा खुशियाँ तुम्हारे पास अपार होंगी।

हमें उम्मीद है खुशियों की चमक में हमें कभी न भूलोगे  तुम।
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* बिनेश कुमार  * १३/१०/२०१३ *


       * ॐ  *

*  प्यार ओर नफरत  की सीमा नहीं होती  *
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प्यार ओर  नफरत की कोई उम्र  नहीं होती।

प्यार ओर नफरत का कोई  रिश्ता नहीं  होता।

प्यार ओर नफरत सागर की गहराई ,व् किनारे के जैसे अद्रश्य होते हैं।

जो जन्म से अंत तक ये हमारे दिल में रहते हैं।

प्यार के बीच कोई दूरी  व् दीवार  नहीं होती।

नफरत के करीब कोई रिश्ता नहीं होता।

प्यार अजनवी को भी अपना बना लेता है।

नफरत अपनों के पास रहकर भी दूर कर देती है।

प्यार ओर नफरत के अनेक रूप व् रिश्ते होते हैं।

इनके बस कारण  सही होने चाहिए।

एक कारण ही पल में अपनों से दूर व् अजनवी के करीब कर देता है।

वो कारण बस हमारे दिल को पसंद आना चाहिए।

नफरत हमारे दिलों के बीच ऐसी दीवार बना देती है।

जो न किसी को करीब से दिखे न कोई हत्यार से तोड़ पाए।

नफरत का स्वाद कडवे नीम व् करेले के जैसा होता है।

प्यार का स्वाद मिठाई  के जैसा मीठा होता है।
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 *  बिनेश कुमार  * १२/१०/२०१३ *  प्रात : ५ बजे  *

Monday, 7 October 2013

* प्यार ओर नफरत का अहसास *

     * ॐ *
   * प्यार ओर नफरत का अहसास *
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तिन -तिन जोड़कर विश्वास को घर बनाया सपनो का।

एक गलत फैमी नफरत का झोका  पल में तोड़ गया घर सपनो का।

एक -एक बूंद प्यार की एकत्र कर सागर बनाया सपनो का।

एक लहर नफरत की आई पल में तोड़ दिया सागर सपनो का।

कोई जिन्दगी में कभी हारा नहीं कठिनाइयों से।

वो एक पल में हार गया जब दर्द मिला अपनों  से।

हर एक की तमन्ना होती है अपनों के साथ  ख़ुशी से जीने की।

अपनों से दर्द के पत्थर चोट करने लगें तो इच्छा होती है मरने की।

प्यार ऐसी  दबाई है मुर्दे में भी जान डाल  देता है।

नफरत ऐसा  जहर है जिन्दा इंसान को जीते जी मार देता है।

जब  अजनबी से मिलना चाहे तो दिल से प्यार का अहसास होता है।

जब अपनों  से बचकर निकले तो दिल से नफरत का अहसास होता है।
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   * बिनेश कुमार * ६/१०/२०१३ * सुबह  ११ बजे *

Friday, 4 October 2013

* ॐ * प्यार है अनमोल तोफा ओर ताकत भारी *



  * ॐ *
 
*  प्यार है अनमोल तोफा ओर ताकत  भारी *
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ए  दिल अब तू ही मुझे बता।

मैं तुझे ऐसा क्या तोफा दूँ।

जो  कोई उसे  चाहकर भी न देख ,न समझ सके।

कोई उसे तुझसे चुरा के न लेजा सके।

प्यार है अनमोल तोफा तेरे लिए।

प्यार ही है हर ताकत से बढ़कर तेरे लिए।

दुश्मन भी चाहकर तेरा कुछ बिगाड़ न पाए।

कोई दर्पण लेकर भी उसे ढूंढ़  न पाए।

हजारों की भीड़ में तू मुझे पहचान पाए।

आखरी सांस तक भी कोई हमें दूर न कर पाए।

हमारे बीच बेसक दूरी बढ़ जाए।

हम कभी एक -दुसरे से दूर न हो पायेंगे।

नफरत है एक ऐसा पत्थर जब किसी को लग जाए।

उसे टूटकर बिखरने से कोई बचा न पायेगा।

बस हमें हर एक कदम पे सावधान रहना होगा।

कोई दुश्मन हमारे बीच नफरत का पत्थर फैक  ना जाए।
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   * बिनेश कुमार  * ४/ १०/ २०१३  * प्रात : ४ बजे *