Tuesday, 26 November 2013

* वक्त के साथ बदलते हालात *




    * वक्त के साथ बदलते हालात  *
    ---------------------------------------



*   बदलते वक्त के साथ हर आशियाने टूट जाते हैं।
वर्षों  का साथ भी एक दिन अचानक  छूट  जाता है। .

दिलों से बने प्यार के आशियाने भी टूट जाते हैं।
जैसे पतझड़ के मौसम में पेड़ों से पत्ते टूट जाते हैं।

दिलों के विश्वास से बने रिश्ते भी गलत फैमी के पत्थर से टूट जाते हैं।
कर्म हों अच्छे तो अजनवी -पराये  भी अपने बन जाते हैं।

जब कुदरत का कहर बरसता है -पर्वत -पहाड़ भी टूट कर बिखर जाते हैं।
बदलते मौसम के रुख से दरिया ,नदी -नाले भी एक दिन सुख जाते हैं।

दिलों में जब प्यार कि जगह नफ़रत हो तो अपने भी दुश्मन बन जाते हैं।
दुनिया  से चले जाने के बाद अपने व् पराये भी सब भूल जाते हैं।
              --------------------------



    * बिनेश कुमार * २२६/११/२०१३ *

No comments:

Post a Comment