Sunday, 3 March 2013

apnapan


   * अपनापन  *
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समुन्द्र  की चंचल लहरें बात करती  है  हवाओं से !

हाल ए दिल का अपना -अपना  बताती है  एक दुसरे  से !

चंद्रमा  की चांदनी , सूरज की तेज रौशनी भी करती है !

बातें वक्त पर समुन्द्र  की  लहरों  से !!

जीवन में साथ हमेशा एक दुसरे ने जरुरत में दिया है !

हाल  ए दिल का अपनों ने जान लिया  बिन बताये !
 
 हाल आपका !

आपके चहरे का आईना सच आपका बयां  कर देता है !

आपके गम व् ख़ुशी साफ़ चहरे पर अपनों को दिखा देता है

तुम लाख छुपाओ दर्द अपनों से चाहकर भी छुपा नहीं पाओगे

तुम दूर जाना चाहो भी अपनों से !

चाहकर भी दूर नहीं जा पाओगे !

जब वक्त महरबान होगा आप पर !

तुम एक दिन खुद वापस  लोटकर !

अपनों के पास दौड़े  चले  आ ओगे   !
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धन्यवाद *  बिनेश कुमार * ०३/०३/२०१३

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