* अपनापन *
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समुन्द्र की चंचल लहरें बात करती है हवाओं से !
हाल ए दिल का अपना -अपना बताती है एक दुसरे से !
चंद्रमा की चांदनी , सूरज की तेज रौशनी भी करती है !
बातें वक्त पर समुन्द्र की लहरों से !!
जीवन में साथ हमेशा एक दुसरे ने जरुरत में दिया है !
हाल ए दिल का अपनों ने जान लिया बिन बताये !
हाल आपका !
आपके चहरे का आईना सच आपका बयां कर देता है !
आपके गम व् ख़ुशी साफ़ चहरे पर अपनों को दिखा देता है
तुम लाख छुपाओ दर्द अपनों से चाहकर भी छुपा नहीं पाओगे
तुम दूर जाना चाहो भी अपनों से !
चाहकर भी दूर नहीं जा पाओगे !
जब वक्त महरबान होगा आप पर !
तुम एक दिन खुद वापस लोटकर !
अपनों के पास दौड़े चले आ ओगे !
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धन्यवाद * बिनेश कुमार * ०३/०३/२०१३
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