* अकेले *
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कौन कहता है इस दुनिया में हम अकेले है !
हमें बस जरुरत है उन आँखों की जो अपनों को पहचान सकें !
हमारे सब अपने हैं दोस्त , दुश्मन ,सुख - दुःख , और ख़ुशी -गम आदि !
बस ये सब अपना रूप बदलकर बारी - बारी से आते हैं !
हम कहते हैं कि हमारे दोस्त और अपने हमसे दूर चले गए !
ये दूरी तो बीच हमारे महज एक दिखावा होता हैं !
जब हम अकेले तनहा होते है , वे हमारे पास यादों में होते हैं !!
रात के अँधेरे में - आँखें हमारी उनकी तस्वीर देखतीं हैं !
और हमारा दिल वो किताब पढता है ,
जो हमने साथ में रहकर लिखी थी !!
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* धन्यवाद * बिनेश कुमार * ०६/०३/२०१३ .
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कौन कहता है इस दुनिया में हम अकेले है !
हमें बस जरुरत है उन आँखों की जो अपनों को पहचान सकें !
हमारे सब अपने हैं दोस्त , दुश्मन ,सुख - दुःख , और ख़ुशी -गम आदि !
बस ये सब अपना रूप बदलकर बारी - बारी से आते हैं !
हम कहते हैं कि हमारे दोस्त और अपने हमसे दूर चले गए !
ये दूरी तो बीच हमारे महज एक दिखावा होता हैं !
जब हम अकेले तनहा होते है , वे हमारे पास यादों में होते हैं !!
रात के अँधेरे में - आँखें हमारी उनकी तस्वीर देखतीं हैं !
और हमारा दिल वो किताब पढता है ,
जो हमने साथ में रहकर लिखी थी !!
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* धन्यवाद * बिनेश कुमार * ०६/०३/२०१३ .
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