Tuesday, 19 March 2013

Rupaiya

  * कविता  - रुपैया *
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बाप  बड़ा ना भैया , सबसे  बड़ा रुपैया  !

मतलव  के सब रिश्ते नाते , मतलव का है  संसार  तुम्हारा !

बहन को तुम भाव ना दो , बीवी को ना दो तुम घहना  !

बिन पैसे के ना होय - रक्षा -बंधन ,भैया दौज  तुम्हारा !

ना होय मन से  करवा चौथ  का पर्व  तुम्हारा  !

जब पैसा  हो पास  तुम्हारे ,हर रिश्ता  रहे पास  तुम्हारे !

बिन पैसे के ना कोई  दुश्मन , ना कोई हो दोस्त तुम्हारा !

पैसे की खातिर  तो तुम्हारे  अपने भी तुम से दूर हो जायेंगे !

और  अजनबी भी तुम्हारे अपने जैसे  बन जायेंगे  !

बिन पैसे -दीवाली में रौशनी की जगह  अँधेरा ,और ख़ुशी के मौके में मातम सा छा  जायेगा !

पैसे की बदौलत  तो वैश्या के कोठे पर हर रोज़ दीवाली व् ख़ुशी का माहोल नज़र आएगा !

पैसे की खातिर  तो यारो  आज हर रिश्ता तुम्हें बाज़ार में बिकता नज़र आएगा !

आज इंसान के लालच की भूख ने यारो पैसे की कीमत को इतना बाधा दिया यारो !
जो अनमोल  थे रिश्ते हमारे  , आज कीमत लगाकर  उनकी बाज़ार में लाकर खड़ा कर दिया !

Thursday, 14 March 2013

poem-Nasha














---*   नशा  *
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दोस्तों  कौन  कहता  है , नशा  शराब  में  ही  होता है  !

दोस्तों  गलत  हैं  वो लोग  जो शराब को बदनाम  करते हैं !

नशा  तो अनेक  रूप  में  साथ हमारे है  !

दोस्तों   नशा  एक मदहोशी  का नाम  है !

जो  अलग -अलग  नाम से पहचाना  जाता  है !

जेसे  - प्यार , नफरत , सुख ,दुःख , लाभ - हानि  आदि  !

नशा  एक अहसास  है हमारा , नशे को सिर्फ  महसूस  किया  जा सकता है !


नशा उस बला का नाम है जो लग जाये तो  बर्बादी की और ले जाता है !

जो समय  रहते इस बला से बच जाये  वो आबाद हो गया ,

जो फंस जाये इस बला  के भंवर में  वि जिन्दगी में  कहीं  का नहीं रहा !!
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*  बिनेश कुमार  *
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Saturday, 9 March 2013

jeevan



जीवन के  यादगार  पल  *
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जिन्दगी के मेरे दोस्तों ने इस तरह से यादगार पल बना दिए ,जिनकी कोई सीमा नहीं
ना  ही  उनका कोई मोल है वे पल जीवन भर के लिए मेरे अमर व् अनमोल  है !

१ - जनवरी १९ ९३, में हिंदुस्तान टाइम्स में  मेने मात्र एक साल सर्विसे  की  जहाँ से मेरे
   मन में लिखने की  प्रेरणा पैदा  हुई ! ये मेरे अच्छे दोस्तों की दें न  थी !

२ -  दिसंबर , १ ९ ९ ४ , में मुझे मेरे सिधान्तों  के मुताबिक जीवन साथी का साथ मिला

३ - जनवरी २१,१९९५,को मुझे आई .आई .ल म, का साथ और सहारा  मिला जो मेरी          

    जिन्दगी  में सबसे खास है , जिसने बहुत कुछ दिया , अच्छे दोस्त  और ज्ञान जो

   बिना फीस दिए मिला , इसमें  मेरी लगन और महनत का अहम् यौग्दान  रहा !  

४ - २०११ - में मुझे  मेरे  सबसे अच्छे दोस्त  से कंप्यूटर  से जुड़ने का एक एसा तोफा

    मिला जिसे  ईमेल ई डी का नाम दिया जाता है ,जिसके कारण मेरे काफी दोस्त करीब

    आ गए,और में कंप्यूटर के पास  आ गया !

५- जून २०१२,से दिसंबर  का सफ़र  उससे भी ज्यादा खास बन गया !

   किसी  ने फेस बुक पर आने का तोफा दिया,  तो  किसी ने फेस बुक पर लिखने की मेरी

  प्रेरणा को मन  में जगा कर  बढ़ावा  दिया !

 जिसके कारण  मेरे दोस्ती के सागर का आकर बढ़ता चला  गया ,और पुराने व् नए
दोस्त  मेरे सब करीब आ गए ! जिनसे सागर से घहरा प्यार और विशवास मिला !!


  
 

Wednesday, 6 March 2013

akhbaar

*  अख़बार  *
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सुबह  सवेरे  प्रति दिन  वो घर  हमारे आता है !

रोज़ सुबह नास्ते  के समय दुनिया का सारा  हाल बताता  है !

हिंदी , इंग्लिश , हर भाषा  में देश - विदेश  की २४ , घंटों  की खबर हमें लाता  है !

ज्ञान - विज्ञानं , खेल जगत , व्यापार  जगत , फिल्म  जगत  आदि की जानकारी  हमें  देता है  !

ये २८  से  3२  ,पेज  में लिखकर दुनिया के हर कौने  का हाल बताता है !

किसी  को ख़ुशी , किसी को गम ,  किसी को लाभ , किसी को हानि ये बताता  है

ये वादे  से अपने कभी  मुकरता  नहीं , आने  में   देर  ये  कभी  करता  नहीं !

ये किसी ताकत  से डरता नहीं ,    सच  और झूठ  ये  छुपता नहीं !

ये सच्चा  और  निडर  साथी हमारा है , फ़र्ज़ ये  अपना पूरा  निभाता  है !!
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धन्यवाद  *  बिनेश कुमार  *   ७/०३/२०१३ .

Tuesday, 5 March 2013

akele

    * अकेले *              
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कौन  कहता  है  इस  दुनिया  में  हम  अकेले  है !

हमें  बस  जरुरत  है  उन  आँखों  की  जो  अपनों  को  पहचान  सकें  !

हमारे  सब  अपने हैं  दोस्त , दुश्मन  ,सुख - दुःख , और ख़ुशी -गम  आदि  !

बस ये  सब  अपना  रूप  बदलकर   बारी - बारी  से आते  हैं  !

हम  कहते  हैं  कि  हमारे  दोस्त  और अपने  हमसे दूर  चले गए !

ये  दूरी  तो  बीच  हमारे  महज  एक दिखावा  होता हैं  !

जब  हम  अकेले तनहा  होते  है  , वे  हमारे  पास  यादों   में  होते हैं  !!

रात  के अँधेरे  में - आँखें  हमारी  उनकी  तस्वीर  देखतीं  हैं  !

और  हमारा  दिल  वो  किताब  पढता  है ,

जो  हमने   साथ  में  रहकर  लिखी  थी !!
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* धन्यवाद  *  बिनेश कुमार  *   ०६/०३/२०१३ .

Sunday, 3 March 2013

RISTE


   =  रिश्ते =------------------

हम बड़े है ,आपके हमेशा बड़े ही रहेंगे ! तुम छोटे हो हमारे छोटे ही रहोगे !!

जो फ़र्ज़ है हमारा संदा ही निभाते रहेंगे !

तुम्हारी गलतियों को संदा ही माफ़ करते रहेंगे !

तुम हमें अपना मानो या ना मानो !

ये तो हमारे दिल की भी इच्छा थी जो हम तुम्हें अपना मानने लगे है !!

एक दिन था जब तुमने हमें अपने प्यार से अपना मानने पर मजबूर किया था !

आज भी दिन है तुम्हारा जो हमें नफरत करने पर मजबूर हमें कर दिय! है !

हम तो बस फ़र्ज़ निभा रहे है  बड़ा होने का !

जो आपको पसंद है उसे पूरा करने की कोशिश कर रहे है !

दोस्ती / दुश्मनी  दोनों की ताकत बराबर ही होती है !

बस फर्क इतना है इनमे निभाने का अंदाज  अलग -अलग होता है !

तुम्हें दोस्ती तो रास हमारी नहीं आई !

तुम्हें शायद हमारी दुश्मनी ही रास आ जाये !!

ये मौका भी हम तुम्हें एक बार फिर देते है !

तुम कर लो पसंद किसी एक को जो तुम्हारी पसंद हो !!

== धन्यवाद  = बिनेश कुमार = ३०/११/२०१२


apnapan


   * अपनापन  *
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समुन्द्र  की चंचल लहरें बात करती  है  हवाओं से !

हाल ए दिल का अपना -अपना  बताती है  एक दुसरे  से !

चंद्रमा  की चांदनी , सूरज की तेज रौशनी भी करती है !

बातें वक्त पर समुन्द्र  की  लहरों  से !!

जीवन में साथ हमेशा एक दुसरे ने जरुरत में दिया है !

हाल  ए दिल का अपनों ने जान लिया  बिन बताये !
 
 हाल आपका !

आपके चहरे का आईना सच आपका बयां  कर देता है !

आपके गम व् ख़ुशी साफ़ चहरे पर अपनों को दिखा देता है

तुम लाख छुपाओ दर्द अपनों से चाहकर भी छुपा नहीं पाओगे

तुम दूर जाना चाहो भी अपनों से !

चाहकर भी दूर नहीं जा पाओगे !

जब वक्त महरबान होगा आप पर !

तुम एक दिन खुद वापस  लोटकर !

अपनों के पास दौड़े  चले  आ ओगे   !
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धन्यवाद *  बिनेश कुमार * ०३/०३/२०१३

Friday, 1 March 2013

poetry

* Poetry *
  
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When we came into the world, even our hands were empty!
You will leave this world, then our hands will be missed!
Something came up, some will not get along!
Just a moment, we'll live happy lives, they just go together!
Lust will not take their wealth earned!
Who do not have a relationship with us will be deleted!
Would Karam in the world, it will be recognized as you are!
Relationship in the world coming after us!
All relationships will be erased, after being left out of the world you go!
You just had to resort to live a life that relationship!
I do not want to sully my happiness just like any moment!
I simply Shaye gum Ruksat living world and I do not want to go!
She is my poetry, I am the poet!
When death came just me, happy to be in front of me!
I myself will laugh and hug her to death!------------------------
* Thanks = Binesh Kumar = 01/03/2013. *

poetry

    *  शायरी  *
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जब  हम इस दुनिया  में आये थे , तब  भी हाथ  हमारे खाली  थे !

जब छोड़कर  इस दुनिया  को जायेंगे , तब भी  हाथ  हमारे  खाली सब  ही होंगे !!

ना  कुछ  लेकर आये  थे ,  ना साथ लेकर  कुछ  जायेंगे !

बस  जो पल  जिन्दगी  के  ख़ुशी  से जी  लेंगे  हम , वो  ही सब साथ  में जायेंगे !

हवस  की कमाई  हुई  दौलत  भी  साथ अपने नहीं ले जा  पाएंगे !

ना कोई रिश्ता  है ऐसा  जो  हमारे साथ ही  मिट  जायेगा !!

जैसा  करम  करोगे  दुनिया  में ,उससे ही  तुम पहचाने  जाओगे !!

  हमारे सब रिश्ते बने थे  दुनिया में आने के बाद  !

हमारे सब  रिश्ते मिट जायेंगे , छुट  जायेंगे  दुनिया  से चले जाने के  बाद !!

ये रिश्ते  तो एक  जिन्दगी  जीने  का  बस  सहारा था  हमारा  !!

मै अपनी  ख़ुशी  का  कोई  भी  पल  यूँ   गवाना  नहीं  चाहता  हूँ !

यूँ  ही गम  के शाये  मै  रहकर  दुनिया  से रुखसत  होकर  मै जाना  नहीं चाहता  हूँ !!

वो  कविता  है  मेरी , मै  कवि  हूँ  उनका !

बस मौत  मेरी जब भी आये , ख़ुशी  मेरी  सामने  हो !

मै  खुद  हंसकर  मौत को  अपनी  गले  से  लगा  लूँगा !!
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*  धन्यवाद  =  बिनेश कुमार   =  ०१/०३ /२०१३ . *