* कविता - रुपैया *
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बाप बड़ा ना भैया , सबसे बड़ा रुपैया !
मतलव के सब रिश्ते नाते , मतलव का है संसार तुम्हारा !
बहन को तुम भाव ना दो , बीवी को ना दो तुम घहना !
बिन पैसे के ना होय - रक्षा -बंधन ,भैया दौज तुम्हारा !
ना होय मन से करवा चौथ का पर्व तुम्हारा !
जब पैसा हो पास तुम्हारे ,हर रिश्ता रहे पास तुम्हारे !
बिन पैसे के ना कोई दुश्मन , ना कोई हो दोस्त तुम्हारा !
पैसे की खातिर तो तुम्हारे अपने भी तुम से दूर हो जायेंगे !
और अजनबी भी तुम्हारे अपने जैसे बन जायेंगे !
बिन पैसे -दीवाली में रौशनी की जगह अँधेरा ,और ख़ुशी के मौके में मातम सा छा जायेगा !
पैसे की बदौलत तो वैश्या के कोठे पर हर रोज़ दीवाली व् ख़ुशी का माहोल नज़र आएगा !
पैसे की खातिर तो यारो आज हर रिश्ता तुम्हें बाज़ार में बिकता नज़र आएगा !
आज इंसान के लालच की भूख ने यारो पैसे की कीमत को इतना बाधा दिया यारो !
जो अनमोल थे रिश्ते हमारे , आज कीमत लगाकर उनकी बाज़ार में लाकर खड़ा कर दिया !
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बाप बड़ा ना भैया , सबसे बड़ा रुपैया !
मतलव के सब रिश्ते नाते , मतलव का है संसार तुम्हारा !
बहन को तुम भाव ना दो , बीवी को ना दो तुम घहना !
बिन पैसे के ना होय - रक्षा -बंधन ,भैया दौज तुम्हारा !
ना होय मन से करवा चौथ का पर्व तुम्हारा !
जब पैसा हो पास तुम्हारे ,हर रिश्ता रहे पास तुम्हारे !
बिन पैसे के ना कोई दुश्मन , ना कोई हो दोस्त तुम्हारा !
पैसे की खातिर तो तुम्हारे अपने भी तुम से दूर हो जायेंगे !
और अजनबी भी तुम्हारे अपने जैसे बन जायेंगे !
बिन पैसे -दीवाली में रौशनी की जगह अँधेरा ,और ख़ुशी के मौके में मातम सा छा जायेगा !
पैसे की बदौलत तो वैश्या के कोठे पर हर रोज़ दीवाली व् ख़ुशी का माहोल नज़र आएगा !
पैसे की खातिर तो यारो आज हर रिश्ता तुम्हें बाज़ार में बिकता नज़र आएगा !
आज इंसान के लालच की भूख ने यारो पैसे की कीमत को इतना बाधा दिया यारो !
जो अनमोल थे रिश्ते हमारे , आज कीमत लगाकर उनकी बाज़ार में लाकर खड़ा कर दिया !