Saturday, 23 February 2013

Wakt


कविता -- वक्त
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वक्त आकर गुजर जाता है , हवा के झोंके की तरह !
वक्त किसी से रुका नहीं रोकने से कभी ,
वक्त को जिसने पहचान लिया , उसे कामयाबी की तरफ बढ़ने से कोई रोक पाया नहीं !!
वक्त की कोई पहचान नहीं ,जो पहचान लिया जाये !
वक्त कभी अच्छा या बुरा नहीं होता , ये नाम तो हम इंसानों ने दिया है !!
वक्त हमारी मुट्ठी में रेतीली मिटटी की तरह होता है , जो पल भर में निकल जाता है !
जो कभी हमारी मुट्ठी में जादा देर तक रुक सका नहीं !
ये वक्त भी एस ही होता ,जो एक बार आकर निकल जाये ,दुवारा लोटकर वापस कभी आता नहीं !!
वक्त को जिसने अनदेखा कर दिया , वो कभी अपनी मंजिल के करीब पहुंचा ही नहीं !
लालच की भूख रखने वाले की इच्छा कभी पूरी होती नहीं !
वक्त हमेशा समुंदर में पानी की लहरों की तरह बदलता रहता है !
ये सोने और जागने के नियम तो कुदरत ने बनाये है !
जब वक्त सोने और जागने का होता है , उपयोग करना चाहिए !!
जिसने भी कोशिश की है कुदरत के नियम बदलने की !
उसने हमेशा अपना ही कुछ गवाया है !!

= धन्यवाद = बिनेश कुमार = २३/०२/२०१३ .

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