Thursday, 28 February 2013

sahara

 =   कविता   -  सहारा  =
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तुम्ही  हो  बंधू , सखा तुम्ही  हो , दाता  तुम्ही हो मेरे !

मै  तो एक फूल  हूँ , तुम सब माली हो मेरे !!

तुम्हारे  प्यार के पालन - पोशर्ण  से फेस बुक पर  मै जन्म ले पाया हूँ  !!

जब तक तुम हो  साथ  मेरे  मै खिलता और महकता  रहूँगा !

अपने लिखे शब्दों   की  खुशबू  के  दम पर !

ऐ  माली मेरे  साथी  एक विनती  मै तुम सब से करता हूँ  !!

जब  तक जीवन  है  मेरा  तुम दूर कभी  न होना  मुझसे !!

मुझे जरुरत है फेसबुक  की बगिया  मै खिलने और  महकने के लिए ,

आपके प्यार  के पानी  और हिम्मत  के सहारे  की  मुझे !!
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=  धन्यवाद  =  बिनेश कुमार  =  २८/०२/२०१३ .

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