: वतन का अपमान अब बर्दास्त नहीं :
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ए वतन फरोशी की तमन्ना दिल में रखने वालों !
अब धैर्य और संयम का गान गाना छोडो !
देश का अमन-चैन उड़ाने वालों का मुहं तोडों !
तिरंगे का अपमान करने वालों को तुम अब न छोडो !
एक बार आजादी के खातिर वीरों ने लहू अपना बहाया था !
आज देश के सम्मान के खातिर वीर लहू अपना बहादेंगे !
ए दूत देश के संदेसा उनको दे दो !
वे न हमारे सबर का इम्तहान लें !
वो हाल करेंगे उनका वतन की एक इंच जमीं तो क्या
दफ़नाने को कबर और ढाई गज कफ़न भी नसीब न होने देंगे !
ये वतन हमारा हम वतन की संतान हैं !
ए वतन के गद्दारो वक्त है अभी सुधर जाओ !
ये तुम्हें पैगाम हमारा है !
अच्छा नसीब तुम्हारा है !
जो भारत दोस्त तुम्हारा है !
जय हिन्द जय भारत
बिनेश कुमार २७/०१/२०१६
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