Thursday, 28 January 2016

*मौसम की तरह बदलता इंसान *






               *मौसम की तरह बदलता इंसान *
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जब बच्चपन था तुम्हारा हर रिश्ता प्यारा लगता था !

जब तुम बड़े होने लगे तो तो काम में व्यस्त रहने लगे !

तब तुम्हारे पास रिश्ते निभाने का वक्त नहीं था  !

जब अपने बूढ़े और लाचार होने लगे !

तब वे तुम्हें बोझ लगने लगे !

इस तरह अपने ही अपनों से नजरें चुराने लगे !


 : बिनेश कुमार : १२/०६ /२०१५ : 

      

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