Thursday, 28 January 2016




: युग के साथ बदला इंसान :
                       ---------------------------




जैसे -जैसे युग बदल रहा !

वैसे इंसान भी बदल रहा !

रिश्तों के बंधन की डोर  टूट रही !

शिष्टाचार पे ब्र्हष्टाचार भारी पड रहा !

रिश्तों का आत्म सम्मान अब स्वाभिमान बन रहा !

धन-दौलत के चक्कर में रिश्ते कण -कण होकर बिखर रहे !

न उम्र का बंधन ,न रिश्तों का लिहाज शोषण सर चढ़कर बोल रहा !

आज शिक्षित होकर इंसान अज्ञानता के अन्धकार में डूब रहा !

आज इंसान के हाथों इंसान कदम -कदम पर अपमानित हो रहा !

आज पुण्य से पाप चार कदम आगे बढ़ रहा !


: बिनेश कुमार : २१/१२/२०१५ :

No comments:

Post a Comment