Tuesday, 31 March 2015

“ तक़दीर की तस्वीर “






“ तक़दीर की तस्वीर “
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ए जिंदगी हम चाहें तो तक़दीर की तस्वीर बदल सकते हैं।
खुद दर्द में खुश रहकर दूसरों को ख़ुशी दे सकते हैं। 
हम अपनी एक मुस्कान से दूसरों को मुस्कान दे  सकते हैं।
हम रोते हुए इंसान को थोड़ी ख़ुशी देकर हंसी दे सकते हैं।
प्यार के दो शब्द  बोलकर  भूखे की भूख मिटा सकते हैं।
हम खुद ख़ुश रहकर दूसरे को ख़ुशी की राह दिखा सकते हैं..
हम अजनवी के दर्द को सुनकर अपनेपन का अहसास करा सकते हैं।
हम हर पल खुश रहकर जिंदगी की हर मंजिल को आसान बना सकते हैं।
हम इस तरह तक़दीर की तस्वीर खुद बदल सकते हैं।   
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:बिनेश कुमार :२७/११/२०१४ :

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