Tuesday, 31 March 2015

“ उच्चशिक्षा की ओर बढ़ते क़दमों तले ,


“ उच्चशिक्षा की ओर बढ़ते क़दमों तले , ”
अपने संस्कार दम इस तरह तोड़ने लगे।  
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जैसे -जैसे युग बदलने लगा ,उच्चशिक्षा का स्तर बढ़ने लगा।
विदेशी भाषाओं ओर संस्कारों के सामने अपने दफ़न होने लगे।
रिश्तों के आव-भाव संस्कृति वेश-भूषा में बदलाव आने लगा।
मम्मी पापा जैसे सम्मानित शब्दों को छोड़कर मोम डेड का प्रचलन होने लगा।
जो बहुऐं कभी सास ससुर के सामने घूँघट करके चलतीं थीं।
आज वे फैंशन के तौर पर खुले सिर बाँहों में बाँहें डालकर घूमने लगी।
दोस्ती का रिस्ता अब बॉय /गर्ल फ्रेंड के नाम से पहचाने जाने लगा।
जैसे जैसे ये रिस्ता अब रफ़्तार पकड़ने लगा।
वैसे वैसे शादी का अटूट बंधन बीच सफर में ही टूटने लगा।
आज के युग की ये सच्ची हकीकत है ये रिस्ता  एक हत्यार बनने लगा।
मात -पिता ,पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को तोड़ने में अहमभूमिका निभाने लगा।
आज रिश्तों की कोई शर्मों -लिहाज न रही अब महफ़िल में हर रिस्ता झूमने  होने लगा।
माँ -बाप के सामने बेटी-बेटा नशे में धुत्त होकर महफ़िल में नाचने लगे।
शादी के सजे मंडप में आज दूल्हा दुल्हन भी थिरकने लगे।
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“” बिनेश कुमार “ १८/११/२०१४ “”

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