“ अनमोल रिश्ता “
---------------
यूँ तो संसार में हमारे अनगिनत रिश्ते हैं।
जिनका किसी ने आंकलन कभी किया नहीं।
ये रिश्ता जो प्यारा -खुबशुरत और अनमोल है।
कुदरत ने जिसे खुद फुर्सत से बनाया है।
हर रिस्ता कुछ क़दमों का हमसफ़र मेहमान होता है।
ये रिश्ता जन्मभर का हमसफ़र और कदरदान होता। है
कुदरत ने दो अंजानो को मिलाकर एक किया है।
जमाने ने इसे शादी का नाम देकर अद्भुद तरीकों सजाया है।
अग्नि के सात फेरों की डोरी में इस रिश्ते को पिरोया है।
दोनों ने भरी महफ़िल में एक-दूजे को अपनाया है।
हर ख़ुशी-गम में कदम से कदम मिलाकर साथ निभाया है।
जिसने भी इस रिश्ते का अपमान और खिलवाड़ किया है।
वो कभी किसी रिश्ते का सुख भोग नहीं पाया है।
ये रिस्ता संदा हर रिश्ते का माली बना है।
हर रिश्ते को पाल-पोस कर इसने बड़ा और कामयाब किया है।
--------------
“ बिनेश कुमार “ २९/१०/२०१४ “प्रातः ३:३० “
No comments:
Post a Comment