* शायरी अंदाज - करिश्मा कुदरत का *
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हर एक की चाहत होती है अपना जीवन खुश रहकर जीना यारो।
उनके दर्द हर वक्त साथ रहते हैं उनका साया बनकर यारो।
जीना तो हर कोई चाहता है ख़ुशी से दर्द उनके जीने नहीं देते यारो।
किसी की चाहत नहीं होती कोई नशा करके शुकून से सोये यारो।
उनके बेदर्दी दर्द बिना नशा किये शुकून से सोने नहीं देते यारो।
ये अजीबो -गरीब करिश्मा कुदरत का देखो यारो।
वक्त की नजाकत को पहचानो यारो।
जो कभी किसी से नहीं डरता था यारो।
आज वो खुद अपनी परछाई से डरता है यारो।
जो शेर का शिकार करने की हिम्मत रखते हैं यारो।
वे भी एक दिन अपनी गली के कुत्ते से डरते हैं यारो।
इसी को कहते हैं खेल कुदरत का यारो।
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** बिनेश कुमार * २८ फरवरी ,२०१४ **
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