* इतना फर्क क्यूँ *
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जब रब ने हर इंसान को समान बनाया।
फिर इंसान इंसान की सोच में फर्क क्यूँ आया।
जब ख़ुशी गम का अहसास एक जैसा है।
फिर स्त्री पुरुष की सोच में इतना फर्क कैसे है।
जब स्त्री को ख़ुशी गम मिले तो वो आंसू बहाती है।
जब पुरुष को ख़ुशी गम मिले तो वो नशे में खुद डूबता है क्यूँ।
रब ने स्त्री पुरुष को एक दूजे का सहारा बनाया।
फिर दोनों के सोच विचार भिन्न -भिन्न क्यूँ।
दोनों के दिलों में प्रेम कम अहंकार ज्यादा क्यूँ।
रब ने दोनों को एक साथ मिलाकर ख़ुशी बनाई।
फिर इंसान ने विश्वास घात करके दर्द बनाया क्यूँ।
रब ने जिंदगी ख़ुशी से जीने को हमें दी।
फिर इंसान ने खुद मौत को अपनाया क्यूँ।
खुद इंसान ही इंसान को दर्द देकर दुश्मन बना क्यूँ।
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* बिनेश कुमार * २४ मार्च २०१४ *
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