Saturday, 30 January 2016

: होली का सन्देश :






 : होली का सन्देश :



बसंत ऋतू आई ,होली का सन्देश लेकर आई !
हमसब की खुशियां अपार लेकर आई !   
चारों तरफ रंग बिरंगी कलियाँ खिलने लगीं !
रंग बिरंगे फूल खिलकर महकने लगे !
भवरे उनके इर्द-गिर्द भिन -भिनाने लगे !
फूलों की खुशबू एक साथ फैलने लगी !
फागुन आया रे , फागुन आया रे !
दिल से दिल की नफ़रत मिटाने आया रे !
खुशियों से भरा रंगों का गुलदस्ता लाया रे !
रूठे दिलों को मिलाने फागुन आया रे !
फागुन आया रे ,फागुन आया रे !
दिलों में प्यार की ज्योत जलाने फागुन आया रे !
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   : बिनेश कुमार  :३०/०१/२०१६ :      


Thursday, 28 January 2016

*मौसम की तरह बदलता इंसान *






               *मौसम की तरह बदलता इंसान *
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जब बच्चपन था तुम्हारा हर रिश्ता प्यारा लगता था !

जब तुम बड़े होने लगे तो तो काम में व्यस्त रहने लगे !

तब तुम्हारे पास रिश्ते निभाने का वक्त नहीं था  !

जब अपने बूढ़े और लाचार होने लगे !

तब वे तुम्हें बोझ लगने लगे !

इस तरह अपने ही अपनों से नजरें चुराने लगे !


 : बिनेश कुमार : १२/०६ /२०१५ : 

      



: युग के साथ बदला इंसान :
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जैसे -जैसे युग बदल रहा !

वैसे इंसान भी बदल रहा !

रिश्तों के बंधन की डोर  टूट रही !

शिष्टाचार पे ब्र्हष्टाचार भारी पड रहा !

रिश्तों का आत्म सम्मान अब स्वाभिमान बन रहा !

धन-दौलत के चक्कर में रिश्ते कण -कण होकर बिखर रहे !

न उम्र का बंधन ,न रिश्तों का लिहाज शोषण सर चढ़कर बोल रहा !

आज शिक्षित होकर इंसान अज्ञानता के अन्धकार में डूब रहा !

आज इंसान के हाथों इंसान कदम -कदम पर अपमानित हो रहा !

आज पुण्य से पाप चार कदम आगे बढ़ रहा !


: बिनेश कुमार : २१/१२/२०१५ :

: दोस्ती के असूल :






: दोस्ती के असूल :
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दोस्ती के लिए पहली मुलाकात जरुरी है !

रिश्ते को जोड़ने लिए दिलों का मिलना जरुरी है !

बिन मुलाकात ,पहचान के दोस्ती अधूरी है !

साथ निभाने के लिए एक-दूजे के साथ चलना जरुरी है !

फ़र्ज़ निभाने के लिए एक-दूजे को समझना जरुरी है !
 
दिल बिन जुड़े हर रिस्ता कमजोर है दोस्तों !

कदम बिन बढ़ाये हर मंजिल दूर है दोस्तों !

हर कार्य करने के असूल होते हैं दोस्तों !



: बिनेश कुमार : २६/१२ २०१५ :

: सुनो भै साधू बात पते की बड़ी खास है :




: सुनो भै साधू बात पते की बड़ी खास है :


खुदा के बन्दे अंतर मन की आँख खोल कर देख हर रिस्ता पास है !

फूलों की कदर भोरे ही जानते हैं !
प्यार की कदर प्रेमी ही जानते हैं !
इंसानियत का फ़र्ज़ निभाने वाले रिस्ता नहीं देखा करते !
सच्चा प्यार करने वाले रूप-रंग ,जाती -धर्म नहीं देखा करते !
  जैसे दिया-बाती  मिलकर रात के अन्धकार को दूर करते हैं !
वैसे दो सच्चे जीवन साथी मिलकर जिंदगी का सफर पूरा करते हैं !
जैसे नाव और मल्हा का सही तालमेल विश्वासपूर्ण हो तो तूफां में भी दरिया पार कर लेते है !
वैसे रिश्तों में सही तालमेल और विशवास न हो तो बीच सफर में ही साथ छूट जाता है !




:बिनेश कुमार :१६/०१/२०१६ :  

: वतन का अपमान अब बर्दास्त नहीं :

 



: वतन का अपमान अब बर्दास्त नहीं :
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ए वतन फरोशी  की तमन्ना दिल में रखने वालों !
अब धैर्य और संयम का गान गाना छोडो !
देश का अमन-चैन उड़ाने वालों का मुहं तोडों !
तिरंगे का अपमान करने वालों को तुम अब न छोडो !
एक  बार आजादी के खातिर वीरों ने लहू अपना बहाया था !
आज देश के सम्मान के खातिर वीर लहू अपना बहादेंगे !
ए दूत देश के संदेसा उनको दे दो !
वे न हमारे सबर का इम्तहान लें !
वो हाल करेंगे उनका वतन की एक इंच जमीं तो क्या
दफ़नाने को कबर और ढाई गज कफ़न भी नसीब न होने देंगे  !
ये वतन हमारा हम वतन की संतान हैं !
ए वतन के गद्दारो वक्त है अभी सुधर जाओ  !
ये तुम्हें पैगाम हमारा है !
अच्छा नसीब तुम्हारा  है !
जो भारत दोस्त तुम्हारा है !

जय हिन्द जय भारत

बिनेश कुमार २७/०१/२०१६