“ संगठन की शक्ति एकता “
एक फूल से गुलदस्ता ,एक ईंट से महल नहीं बनता !
एक धागे बिन मोती,फूलों का हार नहीं बनता !
हक़ बिन मांगे कभी नहीं मिलता !
अपने कदम बिन बढ़ाये कभी मंजिल नहीं मिलती !
गुलदस्ता हो या महल फूलों ,ईंटों की एकता बगैर नहीं बनता !
संगठन हो या संस्था जान बिन सहयोग नहीं चलता !
मन में लोभ-लालच ,डर है जहाँ, सफलता की हार है वहां !
मन की सच्ची लगन एक दूजे पर विशवास है जहाँ ,
कामयाबी की सफलता का विकास है वहां !
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“जय हिन्द जय भारत “
: बिनेश कुमार :२९/०२/२०१६ :