Friday, 2 October 2015

“रब की लीला कोई न जाने “




“रब की लीला कोई न जाने “
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हम न जाने तुम न जाने !
कुदरत का लिखा किस्मत में कोई पढ़ना न जाने !
बड़े -बड़े रिश्तों के झुण्ड एक पल में टूटकर बिखर जाते हैं !
कब कहाँ किस मोड़ पर बिछड़े हुए मिल जाते हैं !
बिछड़ों से मिलने पर दिल में ख़ुशी के फूल खिल जाते हैं !
ये कोई न जाने किस बात पर किस पल में साथी बिछड़ जाते हैं !
जैसे सूखे पेड़ से पत्ते टूटकर दूर गिर जाते हैं !
इस तरह ख़ुशी के फूल निराशा के साये में मुरझा जाते हैं !
सुनो भई साधू बिनेश कुमार राजपुर वाले सच लिखते हैं !
पहले सोचो समझो तब अपने कदम आगे बढ़ाओ !
अपने रिश्तों का फर्ज ऐसे निभाओ !
दुनिया में तुम एक मिशाल बन जाओ !
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“बिनेश कुमार “ १८/९/२०१५ “

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