Friday, 2 October 2015

*भारत के अनमोल रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम *








*भारत के अनमोल रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम *
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सम्पूर्ण राष्टजन का सत -सत प्रणाम !

तुम्हें सूरज कहें या चंदा या आँखों का तारा !
तुमने देश का नाम रोशन किया  जग के प्यारे !
कलाम तुम्हारे जितने हुन्नर उतने नाम जग में बने महान !
तुम सादगी के सागर हम लहरें हैं तुम्हारी !
तुम ज्ञान के  दीपक हो हम किरण तुम्हारी !
तुम प्रेरणा के श्रोत हम कड़ी तुम्हारी !
तुम पथदर्शक हो हम राही तुम्हारे !
तुम दुनिया से तो रुखसत होकर चले गए!
हमारे दिल से दूर न जा पाओगे !
यादों के झरोके में हर वर्ष पास हमारे आओगे !
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*बिनेश कुमार *३१ जुलाई २०१५ *
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*प्रतीक तिरंगा है *







 
*प्रतीक  तिरंगा है *
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भारत की आजादी का प्रतीक तिरंगा है !
भारत की खुशियों का गौरव तिरंगा है !
हर भारतीय के मन में गंगा ,हाथ में तिरंगा है !
भारतीय सेना का वजूद तिरंगा है !
तीन रंग से मिलकर बना तिरंगा है !
खुशहाली ,शांति ,स्वछता का प्रतीक तिरंगा है !
भारत की आन, वान  शान तिरंगा है !
हर वीर जवान का लक्ष्य तिरंगा है !
भारत की हर सीमा पर खड़ा लहराता तिरंगा है !
भारत की पहचान तिरंगा है !
ये कभी न झुकेगा न मिटेगा हमारा तिरंगा है !
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*जय हिन्द जय भारत *

*बिनेश कुमार *१४ अगस्त २०१५ *

“रब की लीला कोई न जाने “




“रब की लीला कोई न जाने “
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हम न जाने तुम न जाने !
कुदरत का लिखा किस्मत में कोई पढ़ना न जाने !
बड़े -बड़े रिश्तों के झुण्ड एक पल में टूटकर बिखर जाते हैं !
कब कहाँ किस मोड़ पर बिछड़े हुए मिल जाते हैं !
बिछड़ों से मिलने पर दिल में ख़ुशी के फूल खिल जाते हैं !
ये कोई न जाने किस बात पर किस पल में साथी बिछड़ जाते हैं !
जैसे सूखे पेड़ से पत्ते टूटकर दूर गिर जाते हैं !
इस तरह ख़ुशी के फूल निराशा के साये में मुरझा जाते हैं !
सुनो भई साधू बिनेश कुमार राजपुर वाले सच लिखते हैं !
पहले सोचो समझो तब अपने कदम आगे बढ़ाओ !
अपने रिश्तों का फर्ज ऐसे निभाओ !
दुनिया में तुम एक मिशाल बन जाओ !
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“बिनेश कुमार “ १८/९/२०१५ “

ख़ुशी के रंग मुलाक़ात के संग

ख़ुशी के रंग मुलाक़ात के संग
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जल बिन मछली न जिए !
दीप बिन जग न रोशन होय !
पत्ती बिन पेड़ से हरियाली न होय !
एक दूजे बिन मिलन मोहब्बत न होय !
चंदा बिन रात चांदनी न होय !
धरती से अन्न मिले तो हर जीव जीवित होय !
एक दूजे का साथ दें तो हर मुश्किल आसान हो जाय !
प्यार के दीवाने दो प्रेमी होते हैं !
प्यार के दुश्मन हज़ार होते हैं !
ख़ुशी के  रंग हर  मुलाक़ात के संग खिलते हैं !
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बिनेश कुमार :

khushi ke rang

ख़ुशी के रंग मुलाक़ात के संग
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जल बिन मछली न जिए !
दीप बिन जग न रोशन होय !
पत्ती बिन पेड़ से हरियाली न होय !
एक दूजे बिन मिलन मोहब्बत न होय !
चंदा बिन रात चांदनी न होय !
धरती से अन्न मिले तो हर जीव जीवित होय !
एक दूजे का साथ दें तो हर मुश्किल आसान हो जाय !
प्यार के दीवाने दो प्रेमी होते हैं !
प्यार के दुश्मन हज़ार होते हैं !
ख़ुशी के  रंग हर  मुलाक़ात के संग खिलते हैं !
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बिनेश कुमार : २०/९/२०१५





                  ये सब जरुरी हैं
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हर रिश्ते के लिए पहली मुलाक़ात जरुरी है !
रिश्ते को निभाने के लिए फ़र्ज़ निभाना जरुरी है !
ख़ुशी पाने के लिए दर्द सहना जरुरी है !
हर दर्द से निबटने के लिए हौंसला रखना जरुरी है !
साथ निभाने के लिए हर मंजिल तक चलना जरुरी है !
रिश्तों को जोड़ने के लिए विशवास बनाना जरुरी है !
जिंदगी जीने के लिए हर दर्द ए गम सहना जरुरी है !
कुछ बनने के लिए रिश्तों से दूर जाना जरुरी है !
कामयाबी में सफल होने के लिए सहारा लेना जरुरी है !
कुछ नया करने के नई सोच लाना जरुरी है !
जिंदगी के सफर में गिरने पर उठकर सम्भलना जरुरी है !  
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बिनेश कुमार : २२/९/२०१५ :