Tuesday, 25 June 2013

Barsaat

             *  कविता - बरसात  *
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 देखो  आया बरसात का मौसम  झूम  के !

घनघोर  काले - सफ़ेद रंग में आते बादल लगते सुंदर और प्यारे !

रिम झिम -रिम झिम बरसा पानी नन्हीं -मोटी  बूँदों  में !

जंगल में झूम -झूम  कर मोर नाचते लगते सबको प्यारे !

रंग -बिरंगी छतरी लेकर घर से निकले लोग लगते सुंदर और  प्यारे !

पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु और इंसान सब ख़ुशी में झूम  उठे !

इन्द्र देव सबकी सुनते और आसमान से जल बरसाते !

नदी -नाले और दरिया बहते लगते सुंदर और प्यारे !
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 * बिनेश कुमार  * १ ७ /० ६ /२ ० १ ३ *
         

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