Friday, 5 September 2014

* गुरु ज्ञान सागर *

  




* गुरु ज्ञान सागर *
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गुरु आप सदां आदरणीय  हो तुम।
गुरु ,माता-पिता सखा ,पथदर्शक मेरे हो तुम।
गुरु मेरे ज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाला प्रकाश हो तुम।
गुरु डूबती नैया को पार लगाने वाले मल्हा हो तुम।
गुरु मेरी कामयाबी की सफलता का हार हो तुम।
माता-पिता ने पालन-पोषण करके फ़र्ज़ अपना निभाया।
गुरु कामयाबी की सफलता तक पहुंचाकर फ़र्ज़ अपना निभाया।
वक्त और पैसे की कदर करना आपने सिखाया।
गुरु आप ना होते तो हम कामयाब न होते।
गुरु माता-पिता के जैसे सदां पूज्यनीय  आदरणीय हो तुम।
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* बिनेश कुमार * ६ सिंतम्बर ,२०१४ *

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