*ये पैगाम दोस्ती के नाम *
* हाल ए दिल की दांस्ता *
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दोस्तों हम हाल ए दिल की दांस्ता अपने में शब्दों में इस तरह बयां करते हैं।
दोस्तों जुदाई के आलम में हम यहाँ तनहा हैं..
बस हम आँखों से आंसू बहाकर तुम्हें दिखा नहीं सकते।
तुम्हारी सफलता की ख़ुशी में हम अपनी ख़ुशी बयां कर नहीं सकते।
तुम्हारी ख़ुशी और सफलता की खातिर। ।
एक जुदाई का गम तो क्या ऐसे हजार गम भी ख़ुशी से सह लेंगे।
जो आज हमें चाहते हैं ,हम उन्हें उम्र भर चाहते रहेंगे।
ए मेरे दोस्तों हमारे बीच बस एक दुरी ही बढ़ी है दोस्ती नहीं टूटी है।
हम एक दूजे की यादों के सहारे हमेशा हर पल एक दूजे के करीब रहेंगे।
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बिनेश कुमार * १९ सितम्बर २०१४ *
* हाल ए दिल की दांस्ता *
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दोस्तों हम हाल ए दिल की दांस्ता अपने में शब्दों में इस तरह बयां करते हैं।
दोस्तों जुदाई के आलम में हम यहाँ तनहा हैं..
बस हम आँखों से आंसू बहाकर तुम्हें दिखा नहीं सकते।
तुम्हारी सफलता की ख़ुशी में हम अपनी ख़ुशी बयां कर नहीं सकते।
तुम्हारी ख़ुशी और सफलता की खातिर। ।
एक जुदाई का गम तो क्या ऐसे हजार गम भी ख़ुशी से सह लेंगे।
जो आज हमें चाहते हैं ,हम उन्हें उम्र भर चाहते रहेंगे।
ए मेरे दोस्तों हमारे बीच बस एक दुरी ही बढ़ी है दोस्ती नहीं टूटी है।
हम एक दूजे की यादों के सहारे हमेशा हर पल एक दूजे के करीब रहेंगे।
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बिनेश कुमार * १९ सितम्बर २०१४ *
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