* कविता - बरसात *
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देखो आया बरसात का मौसम झूम के !
घनघोर काले - सफ़ेद रंग में आते बादल लगते सुंदर और प्यारे !
रिम झिम -रिम झिम बरसा पानी नन्हीं -मोटी बूँदों में !
जंगल में झूम -झूम कर मोर नाचते लगते सबको प्यारे !
रंग -बिरंगी छतरी लेकर घर से निकले लोग लगते सुंदर और प्यारे !
पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु और इंसान सब ख़ुशी में झूम उठे !
इन्द्र देव सबकी सुनते और आसमान से जल बरसाते !
नदी -नाले और दरिया बहते लगते सुंदर और प्यारे !
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* बिनेश कुमार * १ ७ /० ६ /२ ० १ ३ *
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देखो आया बरसात का मौसम झूम के !
घनघोर काले - सफ़ेद रंग में आते बादल लगते सुंदर और प्यारे !
रिम झिम -रिम झिम बरसा पानी नन्हीं -मोटी बूँदों में !
जंगल में झूम -झूम कर मोर नाचते लगते सबको प्यारे !
रंग -बिरंगी छतरी लेकर घर से निकले लोग लगते सुंदर और प्यारे !
पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु और इंसान सब ख़ुशी में झूम उठे !
इन्द्र देव सबकी सुनते और आसमान से जल बरसाते !
नदी -नाले और दरिया बहते लगते सुंदर और प्यारे !
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* बिनेश कुमार * १ ७ /० ६ /२ ० १ ३ *