Tuesday, 25 June 2013

Barsaat

             *  कविता - बरसात  *
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 देखो  आया बरसात का मौसम  झूम  के !

घनघोर  काले - सफ़ेद रंग में आते बादल लगते सुंदर और प्यारे !

रिम झिम -रिम झिम बरसा पानी नन्हीं -मोटी  बूँदों  में !

जंगल में झूम -झूम  कर मोर नाचते लगते सबको प्यारे !

रंग -बिरंगी छतरी लेकर घर से निकले लोग लगते सुंदर और  प्यारे !

पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु और इंसान सब ख़ुशी में झूम  उठे !

इन्द्र देव सबकी सुनते और आसमान से जल बरसाते !

नदी -नाले और दरिया बहते लगते सुंदर और प्यारे !
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 * बिनेश कुमार  * १ ७ /० ६ /२ ० १ ३ *
         

Monday, 24 June 2013

kavita - bachpan

     * बचपन  *
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बचपन  सबका अदभुत  निराला और प्यारा  होता है !
बचपन फूल -पौधों  के जैसा  कोमल  और सुंदर  होता है !!
उनके राज कुमार - राजकुमारी  के जैसे  ठाट - वाट होते  हैं !
वो अपनी मनचाही  हट  अपनों से पूरी करा लेते हैं !!
मनचला  बचपन अपनी नटखट अदाओं से अपनों व्  गैरों  को भी मनमोहित कर लेते हैं !
उन्हें  अलग - अलग नामों पुकारा  जाता है ,कोई राधा - किशन ,तो कोई सीता - राम कहता  है !
बचपन का कोई एक अपना रिश्ता नहीं ,उसके लिए हर रिश्ता समान  होता है !
बचपन अपनों और परायों  को एक ही नजर से देखता है !!
जो प्यार करे  उसको वह हंसकर उसकी तरफ दौड़ता   है !!
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*  बिनेश कुमार  * १ ६ /० ६ /२ ० १ ३ .*

Thursday, 13 June 2013

intjar

* इंतजार  *
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गुरुओं ने अपने शिष्यों  को हमेशा  ७० % वही पढाया  होता है , जो किताबों  में ही लिखा होता है !!

हमने  तो अपने शब्दों  में १००%  वही लिखा होता है , जो आज  हकीकत में  हुआ  होता है !!

 लेखक अपने शब्दों  में व्ही  लिखते हैं , जो उनके पास हकीकत में लिखने को होता है !

लोग हमेशा अप बीती ही दूसरों को सुनाते हैं , हम तो लोगों पे बीती अपने शब्दों  में लिखते है !! 

 दान वही करते है , जिनके पास दान करने को होता है !

कौन चाहता है ,हमेशा गम के साये में रहना , हर कोई तो ख़ुशी चाहता है !!


वक्त को बदलना  किसी के बस में नहीं होता ,वही होता है जो किस्मत में लिखा होता है !!

उस जालिम जमाने से पूछो  जिसने उन्हें गम तोफे में दिए है !

जिसने उनको को हमेशा ख़ुशी  और मदद तोफे में दी हैं !!

पसंद तो किसी भी लेखक को नहीं हमेशा गम और दर्द पर लिखना !

बस उन्हें  भी इंतजार है ख़ुशी को अपने शब्दों  में लिखना !!
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बिनेश कुमार * १३ जुलाई ,२ ०१ ३ .

Sunday, 2 June 2013

kavita gam -dard

* एसे  गम -दर्द भी बदलते हैं  ख़ुशी में  *
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गुम  नाम है वो गुम होकर रह गए हैं !
जिन्होंने  कुछ अच्छा  बनने की सोच रखी  थी वो ऐसे  गुम हो गए !!
जिन्होंने हमेशा दूसरों को ख़ुशी देने की सोच रखी थी!
उन्होंने तो न जाने क्यूँ उन्हें ही दर्द  व् गम  देने की सोच रखी थी !!
उन्हें  ये भी पता  नहीं कि वक्त उनका ऐसा  साथ देगा !
उनके दिये  दर्द व् गम  को उनकी ख़ुशी में बदल देगा !!
एक दिन दर्द व् गम के सहारे उनकी एक पहचान बन जायेगी !
एक दिन उनके दिये दर्द - गम के शब्दों को जोड़कर उनकी कवितायें बन जायेगी !!
हम अहसान मानते  हैं उनका जिन्होंने ऐसा  काम किया है !
एक गुम नाम को एक कवि  बनाने में अपना योगदान  दिया है !!
ऐसे  भी कुछ लोग होते है जो ख़ुशी देकर के अपना फ़र्ज़ निभाते हैं !
और कुछ ऐसे  लोग होते हैं जो दर्द - गम देकर के उनकी पहचान बना देते हैं !
अब उनकी सहन -शक्ति और सयंम ही उनकी ताकत है !
जो उनको संभलने  में उनकी मदद करते है !!
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* बिनेश कुमार  * ० २ -० ५ -१ ३ .*