Monday, 22 September 2014

*ये पैगाम दोस्ती के नाम * * हाल ए दिल की दांस्ता *

*ये पैगाम दोस्ती के नाम *
* हाल ए दिल की दांस्ता * 

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दोस्तों हम हाल ए दिल की दांस्ता अपने में शब्दों में इस तरह बयां करते हैं। 
दोस्तों जुदाई के आलम में हम यहाँ तनहा हैं.. 
बस हम आँखों से आंसू बहाकर तुम्हें दिखा नहीं सकते। 
तुम्हारी सफलता की ख़ुशी में हम अपनी ख़ुशी बयां कर नहीं सकते। 
तुम्हारी ख़ुशी और सफलता की खातिर। । 
एक जुदाई का गम तो क्या ऐसे हजार गम भी ख़ुशी से सह लेंगे।
जो आज हमें चाहते हैं ,हम उन्हें उम्र भर चाहते रहेंगे।
ए मेरे दोस्तों हमारे बीच बस एक दुरी ही बढ़ी है दोस्ती नहीं टूटी है।
हम एक दूजे की यादों के सहारे हमेशा हर पल एक दूजे के करीब रहेंगे।
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बिनेश कुमार * १९ सितम्बर २०१४ *

आपकी सफलता में कौन मददगार ,कौन गद्दार है *

  • आपकी सफलता में कौन मददगार ,कौन गद्दार है *
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दोस्तों जानते तो सभी हैं लेकिन अक्सर आगे बढ़ने की जल्दबाजी में भूल जाते हैं।

  • संयम और निर्मलता,सच्ची लगन  आपकी कामयाबी का सबसे बड़ा सहारा है।
  • घमंड ,झूंठा दिखावा और जल्दबाजी  आपकी कामयाबी में रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा होता है।

घमंड दीमक नाम के कीड़े सामान है , जिस तरह वो पेड को  खोकला कर देता है ,
उसे दुवारा पनपने के लायक नहीं छोड़ता ,.
वैसे ही घमंड इंसान को डूबा देता है और दुवारा सँभलने के लायक नहीं छोड़ता।
आपने किताबो में पढ़ा और बड़ों से सुना भी होगा ---------
एक कछुवा और खरगोश की दौड़ में चतुर तीब्र बुद्धि रखने वाले खरगोश की हार ------
और कछुवा की जीत।
  • राम और रावण के युद्ध में घमंडी रावण की हार के साथ वध।
  • श्री कृष्ण और कंस के युद्ध में दुष्ट कंस की हार के साथ वध।
दोस्तों अपनी कामयाबी की सफलता पर  गर्व तो करो लेकिन घमंड कभी मत करो।
कामयाबी की सफलता आपके क़दमों में खुद चलकर आएगी।
आपसे कोई छोटा हो या बड़ा आदर सम्मान  योगता पूर्वक देना चाहिए।
संयम और निर्मलता ,सच्ची लगन  का साथ कभी नहीं छोड़ना  चाहिए।
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*बिनेश कुमार * २०,सितम्बर २०१४ *

Friday, 5 September 2014

* गुरु ज्ञान सागर *

  




* गुरु ज्ञान सागर *
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गुरु आप सदां आदरणीय  हो तुम।
गुरु ,माता-पिता सखा ,पथदर्शक मेरे हो तुम।
गुरु मेरे ज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाला प्रकाश हो तुम।
गुरु डूबती नैया को पार लगाने वाले मल्हा हो तुम।
गुरु मेरी कामयाबी की सफलता का हार हो तुम।
माता-पिता ने पालन-पोषण करके फ़र्ज़ अपना निभाया।
गुरु कामयाबी की सफलता तक पहुंचाकर फ़र्ज़ अपना निभाया।
वक्त और पैसे की कदर करना आपने सिखाया।
गुरु आप ना होते तो हम कामयाब न होते।
गुरु माता-पिता के जैसे सदां पूज्यनीय  आदरणीय हो तुम।
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* बिनेश कुमार * ६ सिंतम्बर ,२०१४ *