Thursday, 23 May 2013

yaden

* यादें हमारी  यादें  *
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हमारी  यादों  की भी एक बारात  होती है !
जो अपनों  और दोस्तों  के रिश्तों  की बनी  होती है !!
यादें मिटती  नहीं कभी चाहने  से हमारे !
वे बार -बार आती है ,नये  नाम और रूप में पास  हमारे !!

बस किरदार  बदल  जाते  है रिश्तों  के हमारे !

नाम और पहचान  नये  होते है जब वे आते है पास हमारे !!
हम पर कभी -कभी तो वक्त ऐसा  महारवान होता है !
दिन ,तारीक ,महिना और कहानी  दुवारा  वही  होती है !!
ख़ुशी के हों पल  या गम की हो घडी ,!
अचम्भा  जब होता है समय और कहानी वही  होती है !!
बदलता है सिर्फ वक्त जब अरसों के बाद आता है !
इस तरह से वो हमारी यादों को ताजा  करता है !!
जीवन में  बिछड़ने  के बाद दुवारा मिलना -झुलना ,और बातें  कभी ना होंगी !
बस यादों के सहारे हम सब एक -दुसरे  के हमेशा करीब  रहते  है !!
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* धन्यवाद  *  बिनेश कुमार * २३ -५ -१ ३ . 
 


Sunday, 5 May 2013

satyug aur kal yug

*  सतयुग  और कलयुग   *
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वक्त एक गोल चक्र के समान  है ,जिसका  ना कोई आरम्भ  और ना अंत  दिखाई  देता  है !
बस वो समय  के साथ -साथ  चलता रहता है !
आज से सदियों  पहले  सतयुग  का राज  था ,जिसमें भी अपराध  और अपराधी  थे .
जिन पर महाभारत  और रामायण  जैसे ग्रन्थ  लिखे गये   है उस  समय भी नारी जाति  पर अत्याचार होते थे !
जब -जब धरती पर पाप बढ़ा , जब -जब  कुदरत ने पाप का विनाश करने के लिए धरती पर इंसानों के रूप में
राम , कृषण  जैसे अवतार को जन्म  दिया ,इस  तरह से रावन  और कंश  जैसे पापियों  का अंत हुआ !
 इस सतयुग  में इंसान  दुसरे  इंसान को देखकर खुश होता था , उसकी हिम्मत बढ़ जाती  थी एक इंसानियत के
रिश्ते का एक दुसरे के प्रति प्रेम भावना  थी !
हर एक रिश्ते का मान सम्मान  होता था ,माता -पिता , भाई -बहन ,पति -पत्नी आदि रिश्ते  एक दुसरे का गरूर हुआ करते  थे ,ये सब रिश्ते हमारे त्योहारों  की रोनक थी !
इस सतयुग में राजाओं  का राज था न्याय  होता अपराधी को सजा दी जाती थी और रिश्तों की दुहाई आज भी दी जाती है !

आज  सदियों  के बाद कलयुग  का राज चल रहा  है ,जिसमें तरह -तरह के घिनोने अपराध दिन प्रति दिन जन्म
ले रहे है ,कोई रोकने वाला ही नहीं है ,!
आज ना तो बहन ,बेटी पत्नी ,माँ ,इन सब की इज्जत बिखरी हुई है  ,कोई समेटने  वाला नहीं !
आज भाई  बहन की राखी की क्या कीमत होती है सब भूल गए ,पिता और बेटी का क्या रिश्ता होता है भूल गए !
जो बचपन कभी अपने बड़ों का सहारा लेकर उनकी ऊँगली पकड़ कर सँभालते  थे आज वही बचपन अपनों से
डरने लगा है ,दूर  से बचकर निकलने लगा है !
आज  कलयुग में कानून  का राज है जिसमें सत की कोई कीमत नहीं ,सच अपना दम तोड़ रहा है ,झूठ तेजी से बढ़
रहा है
बस इन्तजार है तो किसी अवतार के जन्म लेने का जो आकर इस काले कलयुग  का अंत कर देगा 

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   * बिनेश कुमार * ५/५/१३ .

Saturday, 4 May 2013

shayaari

* शायरी   ( जीवन की हकीकत भी है ) *

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तुम निराश मत होना ,हम पास  तुम्हारे  है 
हमारे  बिच दुरी  तो महज  एक दिखावा  है !
जो भी हो कोई सूरत ,हम  तुम्हें  पास अपने  बुलालेंगे !
अगर तुम्हें वो मालुम  हो , तो हमें  तुम बता  देना !
हर हाल  में कोशिश करके , हम  तुम्हें अपने पास  बुला लेंगे !
तुम परेशान  मत होना , ये हमें  अच्छा  नहीं लगता !
अगर कोई गम हो ऐसा , जो तुम्हें  परेशान  करता हो !
तुम  हम पर विश्वास करके ,बस एक बार  बता  देना !
हर कोशिश करके  हम  तुम्हारा  गम  मिटा  देंगे !
तुम्हें  परेशान  देखकर  ,हम  खुश  रह नहीं सकते !
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२- ये  कौन  जनता  है --

इंसान ने जिस जीवन  को अपने कठिन परिश्रम्म के दम पर  दरिया  से एक सागार  बनाया  है !
एक  दिन उसकी एक लहर उसी  को डूबा देगी  यारो !!

* जिस  पौधे को इंसान  अपनी महनत  से सींचकर एक पेड़  बनाता  है !
एक दिन उसी पेड़ की लकड़ी हमारी चिता  में आग बनकर  उन्हें   जलाकर राख  कर देगी यारो !!

*जिनके लिए इंसान अपने सुख -चैन  छोड़कर उनकी ख़ुशी और कामयाबी के लिए पूरा जीवन बिता देता है यारो !
एक दिन वही अपने उनका  दर्द  भी  बन जायेंगे  यारो !!
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* बिनेश कुमार  * ० ५ -० ५ -२ ० १ ३ .