Tuesday, 23 April 2013

pyar aur vishvas

* कविता  -  प्यार  और विश्वास  *
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तुम कविता  हो उनकी ,वो कवि  हैं  तुम्हारे !
तुम साँस  हो उनकी  वो धड़कन  हैं तुम्हारी  !

तुम जहाँ - जहाँ  जाओगे , वो परछाई  बनकर आपकी वहां -वहां साथ आयेंगे  !
तुम पुष्प  हो बगिया  के , वो खुशबू  हैं  तुम्हारी

तुम उम्मीद  हो उनकी वे  ख़ुशी  हैं तुम्हारी !
तुम्हें  जब कोई दर्द  सताये  , वो दबाई  बनकर  आपको  सहारा देंगे !

तुम  जब भी  अपनों  को सपनो  में याद  करोगे , वो हकीकत में पास  आपको  दिखाई  देंगे !
तुम  जब अपनों  को दिल से पुकारोगे , वो  कोसों दूर  भी आपकी आवाज सुन लेंगे !

ये  प्यार  और  विश्वास  ही है जो आपको अपनों से हमेशा जोड़कर  करीब रखता है !
विश्वास  कच्चे धागे  की तरह नाजुक होता है , जो एक बार टूट जाये ,दुवारा  जुड़ नहीं पाता है !
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* बिनेश कुमार  *  २ ३ - ४ -१ ३ .

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