Friday, 12 April 2013

wakt ka Badalta Rukh

* वक्त  का बदलता रुख *


एक वक्त होता है जब बड़े अपने छोटों का  बचपन  सँभालते   है !
एक वक्त आता है जब छोटे अपने बड़ों  का बुढ़ापा  सँभालते है  !
एक वक्त वो आता है  ना बड़ों , ना छोटों  के सहारे की जरुरत  होती है !
उस  वक्त में  यंग अवस्था  को हम  उम्र  का ही एक - दुसरे का साथी बनकर ,
एक -दुसरे का जीवन  भर अंत तक साथ निभाते है !

ये  वक्त भी कितना महान  है अपने  हर रूप की  कीमत  लगाई है !
न- १ -बड़े जब अपने छोटों का बचपन सँभालते है ,तो उन्हें प्यार  होता है !
न - २-  जब छोटे अपने बड़ों को सँभालते है तो उन्हें  दौलत  का लालच  होता  है !
न - ३- अपने आप में महान  और अनोखा  होता है ,
जिसमें  कोई लालच  नहीं ,केवल एक सच्चा प्यार  होता है !
जब दो अनजाने मिलकर एक होकर प्यार को नया जन्म देते हैं ,
और जीवन  भर एक साथ रहकर एक नई  दुनियां  बसाते  है !
हमारे जीवन  का माता और पिता का एक मात्र  रिश्ता ऐसा  है  जो हमसे बिना किसी लालच के जुड़ा रहता है !
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* बिनेश  कुमार  * दिनांक -२५ -०३-१३। 
 

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