Tuesday, 3 December 2013




 * ॐ *


       
*  शायरी अंदाज में कुछ खास  *
        ---------------------------------------



*  दोस्तों - तूफ़ान के आने से सागर  कभी ठहरता  नहीं जैसे।
  किसी का जीवन कभी थमा नहीं किसी के चाहने से ऐसे।


* हर एक फूल को माला में लगाया नहीं जाता  जैसे।
 हर किसी को दोस्त बनाया नहीं जाता ऐसे।

* किसी को  दोस्त बनाने के लिए पहले जांचा -परखा जाता है ऐसे।
लोहे और सोने को आग में तपाकर हत्यार और आभूषण का नाम देते हैं जैसे।   

*  पैड बबुल के सूल की  कोई कदर नहीं होती जैसे।
  बुरे (गलत) इंसानो की  इस तरह कदर नहीं की जाती ऐसे।   


* बिखरी हुई सींक  को इकट्टा करके झाड़ू  बनाई जाती है जैसे।
 एक -एक ईंट को साथ जोड़कर घर बनाया  जाता है ऐसे।


* एक -एक शब्द को जोड़कर एक पंक्ति बनती है जैसे।
 पंक्ति को सजाकर कविता  का नाम देते है ऐसे।
 कवितों के पन्नो को एक साथ जोड़कर किताब नाम देते हैं ऐसे।
           -------------



*  बिनेश कुमार  * ३ दिसंबर ,२०१३ * प्रातः ४ *

No comments:

Post a Comment