* कविता - प्यार और विश्वास *
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तुम कविता हो उनकी ,वो कवि हैं तुम्हारे !
तुम साँस हो उनकी वो धड़कन हैं तुम्हारी !
तुम जहाँ - जहाँ जाओगे , वो परछाई बनकर आपकी वहां -वहां साथ आयेंगे !
तुम पुष्प हो बगिया के , वो खुशबू हैं तुम्हारी
तुम उम्मीद हो उनकी वे ख़ुशी हैं तुम्हारी !
तुम्हें जब कोई दर्द सताये , वो दबाई बनकर आपको सहारा देंगे !
तुम जब भी अपनों को सपनो में याद करोगे , वो हकीकत में पास आपको दिखाई देंगे !
तुम जब अपनों को दिल से पुकारोगे , वो कोसों दूर भी आपकी आवाज सुन लेंगे !
ये प्यार और विश्वास ही है जो आपको अपनों से हमेशा जोड़कर करीब रखता है !
विश्वास कच्चे धागे की तरह नाजुक होता है , जो एक बार टूट जाये ,दुवारा जुड़ नहीं पाता है !
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* बिनेश कुमार * २ ३ - ४ -१ ३ .